अनंत शुभकामना
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छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
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छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
मनोहर छवि देख-देख जग हुआ है दंग
साहित्य-कला-संस्कृति हर एक क्षेत्र में
कीर्तिमान रच रहा, बिखेर नवल रंग
छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
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कर विनोद नयन में सहेजता है ख्वाब
मक़बूल बसे रूह में, रूही सदा जनाब
वास्तव में श्री विनीता श्वास-श्वास है
शब्द-शब्द सुरभि लिए ज्यों खिले गुलाब
आलोक दे बसंत ख़ुशी द्वार रहे संग
छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
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विश्ववाणी संस्थान कदम-कदम साथ
है यही अभियान लिए हाथ में हों हाथ
कंकरों से शंकरों को रच सकें प्रयास
जीव हो संजीव सलिल सिक्त रहे माथ
नेह नर्मदा प्रवाह दे सतत उमंग
छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
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कामना है आसमान छुएँ साथ मिल
भावना है बाग़ को महका सकेंगे खिल
आशना प्रसंग की हो हर कलम यहाँ
साधना सफल हो सजे नित्य ही महफ़िल
जबलपुर में सदा बहे सृजन की तरंग
छबीला छब्बीस साल का हुआ प्रसंग
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