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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

दुर्गा वंदन

दुर्गा वंदन
सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजैः
शंखं चक्रधनुः शरांश्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता।
आमुक्तांगदहारकंकणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुण्डला॥
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सिँहारूढ़ शशि सिर सजा, मरकत मणि सी आभ।
शंख चक्र धनु शर भुजा, तीन नयन अरुणाभ।।
कंगन बाजूबंद नथ, कुंडल करधन माल।
भूषित दुर्गा दूर कर, दुर्गति रहें दयाल।।
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सिंह पर सवार, मस्तक पर चन्द्र मुकुट सजाए, मरकत मणि के समान कांतिनय, चार करों में शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण किए, त्रिनेत्री नेत्रो बाजूबंद ,हार, खनखन करती करधन, रुनझुन करते नूपुरों से विभूषित,कानों में रत्नजटित झिलमिलाते कुंडल पहने
माँ दुर्गा हमारी दुर्गति दूर करें।
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संवस
नवसंवत्सर २०७६

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