छंद पहचानिए
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विधान
मापनी- २१२ २११ १२१ १२१ १२१ १२१ १२१ १२।
२३ वार्णिक, ३२ मात्रिक छंद।
गण सूत्र- रभजजजजजलग।
गण सूत्र- रभजजजजजलग।
मात्रिक यति- ८-८-८-८, पदांत ११२।
वार्णिक यति- ५-६-६-६, पदांत सगण।
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वार्णिक यति- ५-६-६-६, पदांत सगण।
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उदाहरण
हो गयी भोर, मतदान करों, मत-दान करो, सुविचार करो।
हो रहा शोर, उठ आप बढ़ो, दल-धर्म भुला, अपवाद बनो।।
है सही कौन, बस सोच यही, चुन काम करे, न प्रचार वरे।
जो नहीं गैर, अपना लगता, झट आप चुनें, नव स्वप्न बुनें।।
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हो महावीर, सबसे बढ़िया, पर काम नहीं, करता यदि तो।
भूलिए आज, उसको न चुनें, पछता मत दे, मत आज उसे।।
जो रहे साथ, उसको चुनिए, कब क्या करता, यह भी गुनिए।
तोड़ता नित्य, अनुशासन जो, उसको हरवा, मन की सुनिए।।
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नर्मदा तीर, जनतंत्र उठे, नव राह बने, फिर देश बढ़े।
जागिए मीत, हम हाथ मिला, कर कार्य सभी, निज भाग्य गढ़ें।।
मुश्किलें रोक, सकतीं पथ क्या?, पग साथ रखें, हम हाथ मिला।
माँगिए खैर, सबकी रब से, खुद की खुद हो, करना न गिला।।
माँगिए खैर, सबकी रब से, खुद की खुद हो, करना न गिला।।
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संवस
२९-४-२०१९
७९९९५५९६१८
[छंद कोष से एक नया छंद ]
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