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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

मुक्तक

मुक्तक
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दर्पण में जिसको देखा वह बिम्ब मात्र था
और उजाले में केवल साया पाया.
जब-जब बाहर देखा तो पाया मैं हूँ.
जब-कब भीतर झाँका तो उसको पाया
२१-४-२०१०
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