कुण्डलिया :
संजीव 'सलिल'
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भारत के गुण गाइए, ध्वजा तिरंगी थाम.
सब जग पर छा जाइये, सब जन एक समान..
सब जन एक समान प्रगति का चक्र चलायें.
दंड थाम उद्दंड शत्रु को पाठ पढ़ायें..
बलिदानी केसरिया, मिल जयकार करें शत.
हरियाली कृषि प्रगति, श्वेत सुख-चैन रहे नित..
२४-४-२०११
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