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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

द्विपदी

द्विपदी
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तितलियाँ खुद-ब-खुद चूमेंगी हमें
चल महकते फूल बनें, खिल जाएँ
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एक दोहा
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हम तो हिंदी के हामी हैं, फूल मिले या धूल
अंग्रेजी को 'सलिल' चुभेंगे, बनकर शूल बबूल
२१.४.२०१७

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