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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

चित्र पर रचना

चित्र पर रचना

























फ़िक्र न यदि झर गए तो, फिर आएँगे पात
मनुज-केश तो हैं नहीं, फिर न सजे बारात
हरियल पत्तों का कलर हो खेतों से मैच
हरियल मिट्ठू छिप कहे, खोज करो तुम कैच
सूरज गबरू देखता, छिप ऊषा का रूप
आसमान से डाँट खा, पीत पड़ा दिन-भूप   

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