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गुरुवार, 10 जून 2021

बुंदेली लोकगीत नौनी दुलहनिया

बुंदेली लोकगीत
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कोऊ इतै आओ री!, कोऊ उतै जाओ री!!
नौनी दुलहनिया ए समझाओ री!!
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संझा परै से जा तो सोबे खों जुटी
सूरज निकर आओ, अबै नें उठी
तन्नक सों कोई टेर आओ री!
कोई संगे लाओ री!
नौनी दुलहनिया ए समझाओ री!!
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जैसें-तैसें तो अब सो के जा उठी
काम-धंधा छोर कै खाबै खों जुटी
जो कछु रसोई में परोस आओ री!
कोई जल लाओ री!
नौनी दुलहनिया ए समझाओ री!!
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चूल्हे पे धर के जा तो बैठ गई पटा
घर भर को ख्वा दै जाने अलौने भटा
चौके सें कौनउ नौन लाओ री!
तुरतई जाओ री!
नौनी दुलहनिया ए समझाओ री!!
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झींक-झींक बैठी बनाबै खों दार
खीर में लगा दओ जाने हींग खों बघार
काम-काज तन्नक सिखा जाओ री!!
कोई संगे आओ री!
नौनी दुलहनिया ए समझाओ री!!
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