कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 11 जून 2021

मुक्तक, दोहा

मुक्तक
खिलखिलाते रहें, गुनगुनाते रहें
पंछियों की तरह चहचहाते रहें
हाथ में हाथ लेकर रहें साथ हम-
ज़िंदगी भर मधुर गीत गाते रहें
११-६-२०१४ 
दोहा 
स्लोगन, प्रॉमिस, लेक्चर, लोकतंत्र के नाम
मनी, करप्शन, धाँधली, बिक जाओ बेदाम
११-६-२०१६
षट्पदी
नारी पर नर मर मिटे, है जीवन का सत्य
मरता हो तो जी उठा, यह भी नहीं असत्य
यह भी नहीं असत्य, जान पर जान लुटाता
जान जान को सात जन्म तक जान न पाता
कहे सलिल कविराय, मानिये माया आरी
छाया दे या धूप, उसी की मर्जी सारी
११-६-२०१७

कोई टिप्पणी नहीं: