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शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

मुक्तिका

मुक्तिका 
संजीव 'सलिल'
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कद छोटा परछाईं बड़ी है.
कैसी मुश्किल आई घड़ी है.
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चोर कर रहे पहरेदारी
सच में सच रुसवाई बड़ी है..
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बैठी कोष सम्हाले साली
खाली हाथों माई खड़ी है..
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खुद पर खर्च रहे हैं लाखों
भिक्षुक हेतु न पाई पडी है..
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'सलिल' सांस-सरहद पर चुप्पी
मौत शीश पर आई-अड़ी है..
२-४-२०१७
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