कुल पेज दृश्य

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

सोरठा, यमक-श्लेष

छंद सोरठा
अलंकार यमक
*
आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया
***
छंद सोरठा
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
***
संवस
१.४.२०१९

कोई टिप्पणी नहीं: