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रविवार, 7 अक्तूबर 2018

doha kisan

दोहा सलिला
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भूमिपुत्र क्यों सियासत, कर बनते हथियार।
राजनीति शोषण करे, तनिक न करती प्यार।।
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फेंक-जलाएँ फसल मत, दें गरीब को दान
कुछ मरते जी सकें तो, होगा पुण्य महान।।
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कम लागत हो अधिक यदि, फसल करें कम दाम
सीधे घर-घर बेच दें, मंडी का क्या काम?
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मरने से हल हो नहीं, कभी समस्या मान
जी-लड़कर ले न्याय तू, बन सच्चा इंसान।।
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मत शहरों से मोह कर, स्वर्ग सदृश कर गाँव
पौधों को तरु ले बना, खूब मिलेगी छाँव।।
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७.१०.२०१८

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