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मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018

गीत है शाश्वत

एक गीत
- संजीव 'सलिल'
*
गीत है आत्मा मनुज की, गीत की पहचान कर लो।
गीत का गुणगान कर तुम, गीत को रस-खान कर लो।।   
गीत कलकल, गीत कलरव,
गीत झंकृति, गीत गुनगुन।
गीत पायल, गीत मादल
गीत तितली, गीत मधुवन। 
गीत थिरकन, गीत चितवन, गीत का इल्जाम सर लो।
गीत मीतू है, न 'मी टू', कह इसे मेहमान कर लो।।
गीत का गुणगान कर तुम, गीत को रस-खान कर लो।।  
*:
गीत दिल की बढ़ी धड़कन, 
गीत भुज में उठी फड़कन। 
गीत है झुकती निगाहें,
गीत खनखन, गीत छनछन।  
गीत सलिला में नहाओ, गीत को पैगाम कर लो।
गीत अब चिठिया न पाती, गीत को सुर-तान कर लो
गीत का गुणगान कर तुम, गीत को रस-खान कर लो।।
गीत हो संजीव पल-पल,
गीत हो राजीव खिल-खिल।
गीत लहरों में भँवर है,
गीत ऊषा-साँझ झिलमिल।
गीत है इंसान अदना, गीत को अंजाम कर लो।
गीत हो गुमनाम तो तुम गीत को निज जान कर लो  
गीत का गुणगान कर तुम, गीत को रस-खान कर लो।।
१५.१०.२०१८.
संजीव, ७९९९५५९६१८ 

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