नव प्रयोग
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नौ मात्रिक छंद
छंद सूत्र: य न ल
मापनी: १२२११११
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मुक्तक-
मिलोगी जब तुम।
मिटेंगे तब गम।।
खिलेंगे नित गुल
हँसेंगे मिल हम।।
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मुक्तिका -
हँसा है दिनकर
उषा का गह कर।
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कहेगी सरगम
चिरैया छिपकर।
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अँधेरा डरकर
गया है मरकर।
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पियेगा जल नित
मजूरा उठकर।
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न नेता सुखकर
न कोई अफसर
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संजीव 'सलिल'
७९९९५५९६१८
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