कार्यशाला- दोहा / रोला / कुण्डलिया
रोगों से बचना अगर, पैदल चलिए रोज ।
मन में रहे प्रसन्नता, तन में रहता ओज ।। -कैलाश गिरि गोस्वामी
मन में रहे प्रसन्नता, तन में रहता ओज ।। -कैलाश गिरि गोस्वामी
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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