दोहा गीत
*
ब्रम्ह देव बरगद बसें, देवी नीम निवास
अतिप्रिय शिव को धतूरा, बेलपत्र भी ख़ास
*
देवी को जासौन प्रिय,
श्री गणेश को दूब
नवमी पूजें आँवला
सुख बढ़ता है खूब
हरसिंगार हरि को चढ़े,
हो मनहर श्रृंगार
अधर रचाए पान से
राधा-कृष्ण निहार
पुष्प कदंबी कह रहा, कृष्ण कहीं हैं पास
*
कौआ कोसे ढोर कब,
मरते छोड़ो फ़िक्र
नाशुकरों का क्यों करें
कहो जरा भी जिक्र
खिलता लाल पलाश हो,
महके महुआ फूल
पीपल कहता डाल पर
डालो झूला, झूल
भुनती बाली देख हो, होली का आभास
*
धान झुका सरसों तना,
पर नियमित संवाद
सीताफल से रामफल,
करता नहीं विवाद
श्री फल कदली फल नहीं,
तनिक पलते बैर
पुंगी फल हँस मनाता सदा
सभी की खैर
पीपल ऊँचा तो नहीं, हो जामुन को त्रास
***
८.१०.२०१८
*
ब्रम्ह देव बरगद बसें, देवी नीम निवास
अतिप्रिय शिव को धतूरा, बेलपत्र भी ख़ास
*
देवी को जासौन प्रिय,
श्री गणेश को दूब
नवमी पूजें आँवला
सुख बढ़ता है खूब
हरसिंगार हरि को चढ़े,
हो मनहर श्रृंगार
अधर रचाए पान से
राधा-कृष्ण निहार
पुष्प कदंबी कह रहा, कृष्ण कहीं हैं पास
*
कौआ कोसे ढोर कब,
मरते छोड़ो फ़िक्र
नाशुकरों का क्यों करें
कहो जरा भी जिक्र
खिलता लाल पलाश हो,
महके महुआ फूल
पीपल कहता डाल पर
डालो झूला, झूल
भुनती बाली देख हो, होली का आभास
*
धान झुका सरसों तना,
पर नियमित संवाद
सीताफल से रामफल,
करता नहीं विवाद
श्री फल कदली फल नहीं,
तनिक पलते बैर
पुंगी फल हँस मनाता सदा
सभी की खैर
पीपल ऊँचा तो नहीं, हो जामुन को त्रास
***
८.१०.२०१८
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