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रविवार, 7 अक्तूबर 2018

आमंत्रण: छ्न्दोत्सव लखनऊ

आमंत्रण:
छ्न्दोत्सव लखनऊ
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अभिव्यक्ति विश्वम लखनऊ - विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर
---------:: छ्न्दोत्सव २०१८ ::------------ 
स्थान: गुलमोहर ग्रीन स्कूल, ओमेक्स सिटी, बिजनौर मार्ग, 


शहीद पथ लखनऊ। 
रविवार २१.१०,२०१८, प्रात: ११ बजे से। पंजीयन राशि ५००/- ।
विषय: छंद क्या, क्यों कैसे? दोहा, सोरठा, रोला, कुण्डलिया के संदर्भ में
संयोजन / संचालन: पूर्णिमा बर्मन जी, लखनऊ,
वार्ताकार- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', जबलपुर, ७९९९५५९६१८ / ९४२५१८३२४४,  

सहयोगी- सर्वश्री / श्रीमती / सुश्री संजीव 'तनहा' ९८७०६०२६३५ , प्रो. विश्वंभर शुक्ल, डॉ, हरि फैज़ाबादी, मेधा नारायण,
कार्यावली:
उपस्थिति पंजीयन, चाय पूर्वान्ह ११ बजे-११.३० बजे
पूर्वान्ह सत्र: पूर्वान्ह ११.३० बजे-अपरान्ह १.३० बजे
सरस्वती पूजन
परिचय
कृति लोकार्पण- दोहा शतक मञ्जूषा ३ भाग (दोहा-दोहा नर्मदा, दोहा सलिला निर्मला, दोहा दिव्य दिनेश) 
विमर्श- छंद क्या, क्यों कैसे? दोहा, सोरठा, रोला, कुण्डलिया के संदर्भ में  अपरान्ह ११.३० - १.३० बजे।  
अंतराल: भोजन - अपराह्न १:३० से २:३० तक
अपराह्न सत्र- अपराह्न २:३० से ४:३० तक
विमर्श- सोरठा, रोला और कुण्डलिया का रचना विधान।
- प्रश्नोत्तर।
- सहभागियों द्वारा दोहा, सोरठा, रोला, कुण्डलिया पाठ।
समापन- चाय।
टीप- लोकार्पित कृतियाँ ५०% रियायती मूल्य पर उपलब्ध होंगी।
पंजीयन राशि ५००/- भेजकर यथा शीघ्र पंजीकरण करा लें ताकि दोपहर भोजन व चाय व्यवस्था की जा सके। 
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर 

समन्वय अभियान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१ 
ईमेल: salil.sanjiv@gmail.com, चलभाष: ७९९९५५९६१८, ९४२५१८३२४४ 
: मात्रा गणना नियम :
१. ध्वनि-खंड को बोलने में लगनेवाले समय के आधार पर मात्रा गिनी जाती है। २. कम समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की एक तथा अपेक्षाकृत अधिक समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की दो मात्राएँ गिनी जाती हैंं। तीन मात्रा के शब्द ॐ, ग्वं आदि संस्कृत में हैं, हिंदी में नहीं।
३. शब्द के आरंभ में आधा या संयुक्त अक्षर हो तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा। जैसे ध्वनि = १ +१ =२, क्षमा १+२, गृह = ११ = २, प्रिया = १२ =३ आदि।
मात्रा गणना करते समय शब्द का उच्चारण करने से लघु-गुरु निर्धारण में सुविधा होती है। इस सारस्वत अनुष्ठान में आपका स्वागत है। कोई शंका होने पर संपर्क करें। ९४२५१८३२४४ / ७९९९५५९६१८, salil.sanjiv@gmail.co
४. शब्द के मध्य में आधा अक्षर हो तो उसे पहलेवाले अक्षर के साथ गिनें। जैसे- वक्ष २+१, विप्र २+१, उक्त २+१, प्रयुक्त = १२१ = ४ आदि।
५. रेफ को आधे अक्षर की तरह उससे पहले वाले वर्ण के साथ गिनें, पहले लघु वर्ण हो तो गुरु हो जाता है, पहले गुरु होता तो कोई प्रभाव नहीं होता। बर्रैया २+२+२, गर्राहट २+२+१+१ = ६, चर्रा २+२ = ४, अर्कान २+२+१ = ५ आदि।
६. अनुस्वर (बिंदी) जिस अक्षर पर हो वह लघु हो तो गुरु हो जाता है। यथा- अंश = अन्श = अं+श = २१ = ३. कुंभ = कुम्भ = २१ = ३, झंडा = झन्डा = झण्डा = २२ = ४, प्रियंवदा १+२+१+२ = ६, आदि। 
७. अपवाद स्वरूप उच्चारण के अनुसार कुछ शब्दों के मध्य में आनेवाला आधा अक्षर बादवाले अक्षर के साथ गिना जाता है। जैसे- कन्हैया = क+न्है+या = १२२ = ५ आदि।
८. अनुनासिक (चंद्र बिंदी) से मात्रा में कोई अंतर नहीं होता। धँस = ११ = २ आदि। हँस = ११ =२, हंस = २१ = ३ आदि।
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: दोहा लेखन विधान :
१. दोहा के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व हैं कथ्य व लय। कथ्य को सर्वोत्तम रूप में प्रस्तुत करने के लिए ही विधा (गद्य-पद्य, छंद आदि) का चयन किया जाता है। कथ्य को 'लय' में प्रस्तुत किया जाने पर 'लय' में अन्तर्निहित उच्चार में लगी समयावधि की गणना के अनुसार छंद-निर्धारण होता है। छंद-लेखन हेतु विधान से सहायता मिलती है। रस, अलंकार, बिंब, प्रतीक, मिथक आदि लालित्यवर्धन हेतु है। कथ्य, लय व विधान से न्याय जरूरी है।
२. दोहा में दो पंक्तियाँ (पद) होती हैं। हर पद में दो चरण होते हैं।
३. दोहा मुक्तक छंद है। कथ्य (जो बात कहना चाहें वह) एक दोहे में पूर्ण हो जाना चाहिए। सामान्यत: प्रथम चरण में कथ्य का उद्भव, द्वितीय-तृतीय चरण में विस्तार तथा चतुर्थ चरण में उत्कर्ष या समाहार होता है।
४. विषम (पहला, तीसरा) चरण में १३-१३ तथा सम (दूसरा, चौथा) चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
५. विषम कला से आरंभ दोहे के विषम चरण में कल-बाँट ३ ३ २ ३ २ तथा सम कला से आरंभ दोहे के विषम चरण में कल बाँट ४ ४ ३ २ तथा सम चरणों की कल-बाँट ४ ४.३ या ३३ ३ २ ३ होने पर लय सहजता से सधती है। अन्य कल बाँट वर्जित नहीं है
६. परम्परानुसार तेरह मात्रिक पहले तथा तीसरे चरण के आरंभ में एक शब्द में जगण (लघु गुरु लघु) वर्जित होता है। पदारंभ में 'इसीलिए' वर्जित, 'इसी लिए' मान्य। ७. विषम चरणांत में 'सरन' तथा सम चरणांत में 'जात' से लय साधना सरल होता है है किंतु अन्य गण-संयोग वर्जित नहीं हैं।
८. दोहे में संयोजक शब्दों और, तथा, एवं आदि का प्रयोग यथासंभव न करें। औ', ना, इक वर्जित, अरु, न, एक सही।
९. हिंदी व्याकरण तथा मात्रा गणना नियमों का पालन करें। दोहा में वर्णिक छंद की तरह लघु को गुरु या गुरु को लघु पढ़ने की छूट नहीं होती।
१०. आधुनिक हिंदी / खड़ी बोली में खाय, मुस्काय, आत, भात, आब, जाब, डारि, मुस्कानि, हओ, भओ जैसे देशज / आंचलिक क्रिया-रूपों का उपयोग न करें किंतु अन्य उपयुक्त आंचलिक शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है। बोलियों में दोहा रचना करते समय उस बोली का यथासंभव शुद्ध-सरल रूप व्यवहार में लाएँ।
११. दोहा में विराम चिन्हों का प्रयोग यथास्थान अवश्य करें।
१२. श्रेष्ठ दोहे में अर्थवत्ता, लाक्षणिकता, संक्षिप्तता, मार्मिकता, आलंकारिकता, स्पष्टता, पूर्णता, सरलता व सरसता हो।
१३. दोहे में अनावश्यक शब्द का प्रयोग न हो। शब्द-चयन ऐसा हो जिसके निकालने या बदलने पर दोहा अधूरा सा लगे।
१४. अ, इ, उ, ऋ तथा इन मात्राओं से युक्त वर्ण की एक मात्रा गिनें। उदाहरण- अब = ११ = २, इस = ११ = २, उधर = १११ = ३, ऋषि = ११= २, उऋण १११ = ३ आदि।४. शेष वर्णों की दो-दो मात्रा गिनें। जैसे- आम = २१ = ३, काकी = २२ = ४, फूले २२ = ४, कैकेई = २२२ = ६ आदि।
१५. दोहे में कारक (ने, को, से, के लिए, का, के, की, में, पर आदि) का प्रयोग कम से कम हो।
१६. दोहा सम तुकांती छंद है। सम चरण के अंत में सामान्यत: वार्णिक समान तुक होना बेहतर है। संगीत की बंदिशों, श्लोकों आदि में मात्रिक समान्त्तता भी रखी जाती रही है।
१७. पहले लघु वर्ण हो तो गुरु हो जाता है, पहले गुरु होता तो कोई अंतर नहीं होता। दोहा में लय का महत्वपूर्ण स्थान है। लय के बिना दोहा नहीं कहा जा सकता। लयभिन्नता स्वीकार्य है, लयभंगता नहीं।
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- : दोहा शतक मंजूषा : -
विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर के तत्वावधान में समकालिक १५-१५ दोहाकारों के १००-१०० दोहे, एक पृष्ठीय टिप्पणी, एक पृष्ठ पर चित्र-परिचय व उपयोगी शोध सामग्री सहित दस-दस पृष्ठों पर संकलित-संपादित कर संकलन प्रकाशित किए जा रहे हैं। अब तक दोहा पर केन्द्रित इतना व्यवस्थित-विराट अनुष्ठान (४९८० दोहे) पहली बार हुआ है। ये संकलन दोहा के अजायबघर नहीं, दोहा शतक क्यारी, संग्रह उद्यान तथा उद्यान और संकलन-अनुष्ठान खेत की तरह हैं। अब तक ३ भाग दोहा-दोहा नर्मदा २५०/-, दोहा सलिला निर्मला २५०/- व दोहा दिव्या दिनेश ३००/- प्रकाशित किये जा चुके हैं। तीनों भाग लेने पर ५०% मूल्य पर पैकिंग-डाक व्यय की छूट सहित प्राप्त है। भाग ४ हेतु सामग्री संकलित की जा रही है। संकलन प्रकाशित होने पर समें सम्मिलित हर सहभागी को ११ प्रतियाँ निशुल्क भेंट की / भेजी जाएँगी।
सहभागिता के इच्छुक दोहाकारों से १२० दोहे ( १०० चयनित दोहे प्रकाशित होंगे), चित्र, संक्षिप्त परिचय (नाम, जन्म तिथि व स्थान, माता-पिता, जीवन-साथी व काव्य गुरु के नाम, शिक्षा, लेखन विधा, प्रकाशित कृतियाँ, विशेष उपलब्धि, पूरा पता, चलभाष, ईमेल आदि) आमंत्रित हैं। दोहे स्वीकार्य होने पर हर सहभागी ३०००/- अग्रिम सहयोग राशि देना बैंक, राइट टाउन शाखा जबलपुर IFAC: BKDN ०८११११९ में संजीव वर्मा के खाता क्रमांक १११९१०००२२४७ में अथवा नकद जमा करें। संपादन वरिष्ठ दोहाकार आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' तथा डॉ. प्रो. साधना वर्मा द्वारा किया जा रहा है। आवश्यकतानुसार संपादकीय संशोधन स्वीकार्य हों तो ही आप सादर आमंत्रित हैं। दोहे unicode में टंकित कर ईमेल- salil.sanjiv@gmail.com पर चित्र-परिचय सहित भेजें, चलभाष ७९९९५५९६१८, ९४२५१८३२४४ । भारतीय बोलियों / अहिंदी भाषाओँ के दोहे देवनागरी लिपि में आंचलिक शब्दों के अर्थ पाद टिप्पणी में देते हुए भेज सकते हैं।
दोहा शतक मञ्जूषा १ 'दोहा-दोहा नर्मदा' २५०/- : सहभागी सर्वश्री/सुश्री/श्रीमती १. आभा सक्सेना 'दूनवी' देहरादून, २. कालिपद प्रसाद हैदराबाद, ३. डॉ. गोपालकृष्ण भट्ट 'आकुल' कोटा, ४. चंद्रकांता अग्निहोत्री पंचकूला, ५.छगनलाल गर्ग 'विज्ञ' सिरोही, ६. छाया सक्सेना 'प्रभु' जबलपुर, ७. त्रिभुवन कौल नई दिल्ली, ८. प्रेमबिहारी मिश्र नई दिल्ली, ९. मिथिलेश बड़गैया जबलपुर, १०. रामेश्वरप्रसाद सारस्वत सहारनपुर, ११. विजय बागरी कटनी, १२. विनोद जैन 'वाग्वर' सागवाड़ा, १३. श्रीधर प्रसाद द्विवेदी डाल्टनगंज, १४. श्यामल सिन्हा गुरु ग्राम, १५. सुरेश कुशवाहा 'तन्मय' जबलपुर।
दोहा शतक मञ्जूषा २ 'दोहा-सलिला निर्मला' २५०/- सहभागी सर्वश्री/सुश्री/श्रीमती १. अखिलेश खरे 'अखिल' कटनी, २. अरुण शर्मा भिवंडी, ३. इंजी. उदयभानु तिवारी 'मधुकर' जबलपुर, ४. ॐ प्रकाश शुक्ल नई दिल्ली, ५. जयप्रकाश श्रीवास्तव जबलपुर, ६. नीता सैनी नई दिल्ली, ७. डॉ. नीलमणि दुबे शहडोल, ८. बसंत शर्मा जबलपुर, ९. राम कुमार चतुर्वेदी सिवनी, १०. रीता सिवानी नोएडा, ११. शुचि भवि भिलाई, १२. प्रो. शोभित वर्मा जबलपुर, १३. सरस्वती कुमारी ईटानगर, १४. हरि फैजाबादी लखनऊ, १५. हिमकर श्याम रांची।
दोहा शतक मञ्जूषा ३ 'दोहा दीप्त दिनेश' ३००/-, सहभागी सर्वश्री / सुश्री / श्रीमती १. अनिल कुमार मिश्र उमरिया, २. इंजी. अरुण अर्णव खरे भोपाल, ३. अविनाश ब्योहार जबलपुर, ४. इंजी. इंद्र बहादुर श्रीवास्तव जबलपुर, ५. कांति शुक्ल 'उर्मि' भोपाल, ६. इंजी. गोपालकृष्ण चौरसिया 'मधुर' जबलपुर, ७. डॉ. चित्रभूषण श्रीवास्तव 'विदग्ध' जबलपुर, ८. डॉ. जगन्नाथ प्रसाद बघेल मुंबई, ९. मनोज कुमार शुक्ल जबलपुर, १०. महातम मिश्र अहमदाबाद, ११.राजकुमार महोबिया उमरिया, १२. रामलखन सिंह चौहान उमरिया, १३. प्रो. विश्वंभर शुक्ल लखनऊ, १४. शशि त्यागी अमरोहा, १५. संतोष नेमा जबलपुर।
दोहा शतक मञ्जूषा ४- संभावित दोहाकार: सर्वश्री / सुश्री / श्रीमती संजीव 'तनहा', लता यादव गुरुग्राम, सुमन श्रीवास्तव लखनऊ., डॉ. रमन चेन्नई, शेख शहजाद उस्मानी, मिली भटनागर मुजफ्फरपुर, शुभदा बाजपेई. रमेश विनोदी कपूरथला, सविता तिवारी मारीशस, डॉ. वसुंधरा उपाध्याय पिथोरागढ़, पूजा अनिल स्पेन आदि। 
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