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मंगलवार, 21 मई 2013

vastu hints: acharya sanjiv verma 'salil'


वास्तु सूत्र  ------  संजीव

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(१ ) भवन के मुख्य द्वार पर किसी भी ईमारत, मंदिर, वृक्ष, मीनार आदि की छाया नहीं पड़नी चाहिए।

(२ ) मुख्य द्वार के सामने रसोई बिलकुल नहीं होनी चाहिए।

(३ ) रसोई घर, पूजा कक्ष तथा शौचालय एक साथ अर्थात लगे हुए न हों।  इनमे अंतर होना चाहिए।

(४ ) वाश बेसिन, सिंक, नल की टोंटी, दर्पण आदि उत्तरी या पूर्वी दीवार के सहारे ही लगवाएं।

(५) तिजोरी (केश बॉक्स या सेफ)
दक्षिण या पश्चिमी दीवार में लगवाएं ताकि उसका  दरवाजा उत्तर या पूर्व में खुले।
 

 (६) भवन की छत एवं फर्श नैऋत्य में ऊँचा रखें एवं  शान में नीचा रखें।
 
(७) पूजा स्थान इस तरह हो कि पूजा करते समय आपका मुँह पूर्व, उत्तर या ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में हो। 
 
(८) जल स्रोत (नल, कुआँ, ट्यूब वेल आदि), जल-टंकी ईशान में हो।

(९) अग्नि तत्व (रसोई गृह) भूखंड के आग्नेय में हो। चूल्हा, ओवन, बिजली का मीटर आदि कक्ष के दक्षिणआग्नेय में हों। 

(१०) नैऋत्य दिशा में भारी निर्माण जीना, ममटी आदि तथा भारी सामान हो। घर की चहार दीवारी नैऋत्य  में अधिक ऊँची   व मोटी तथा ईशान में दीवार कम नीची व कम मोटी अर्थात पतली हो।
 
(११) वायव्य दिशा में अतिथि कक्ष, अविवाहित कन्याओं का कक्ष, कारखाने का उत्पादन कक्ष रखें। यहाँ सेप्टिक टैंक बना सकते हैं। टैक्सी सर्विस वाले यहाँ वहां रखें तो सफलता अधिक मिलेगी।
 

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