विश्ववाणी हिंदी - जापानी सेतु :
बंधन गण पदभार तुक, बिन रचिए स्वच्छंद।
प्रथम तीसरी पंक्तियाँ, पंचशब्दी मकरंद।।
शेष सात शब्दी रखें, गति-यति रहे न मंद।
जापानी हिंदी जुड़ें, दें पायें आनंद।।
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कहती टिटहरी प्रकृति पुत्र! आओ
झिझको न, टेरो मन-मीत को तुम
छप-छप-छपाक, नीर नद में नहाओ
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दिखा भोग प्रभु को, भर पेट खाओ
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तांका: एक परिचय
दीप्ति - संजीव
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पंचपदी लालित्यमय, तांका शाब्दिक छन्द,
पंचपदी लालित्यमय, तांका शाब्दिक छन्द,
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यह जापान की प्राचीनतम क्लासिकल काव्य-विधा मानी जाती है ! यह ५ पंक्तियों की कविता होती है जिसमे पहली और तीसरी पंक्ति
में पाँच
शब्द और शेष में सात शब्द होते हैं ! इसके विषय प्रक्रति , मौसम, प्रेम और उदासी आदि होते हैं !
Tanka : Deepti
Tanka
is a Japanese poetry type of five lines, the first and third composed of five
syllables and the rest of seven. Tanks poems are written about nature, seasons, love, sadness and other strong
emotions. Tanka is the oldest type of poetry in Japan.
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Lovely, lively , pretty, colourful, beautiful - 5
Nature is God's eternal and divine creation - 7
Makes us fresh and energetic - 5
It's my best friend , teacher and guide - 7
Always with me in happiness and grief - 7
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उदाहरण : सलिल
उदाहरण : सलिल
निरंतर निनादित धवल धार अनुपम,
निरखो न परखो न सँकुचो न ठिठको
झिझको न, टेरो मन-मीत को तुम
छप-छप-छपाक, नीर नद में नहाओ
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बन्धन भुलाकर करो मुक्त खुदको
अंजुरी में जल भर, रवि को चढ़ाओ
मस्तक झुकाओ, भजन भी सुनाओ
माथे पे चन्दन, जिव्हा पर हरि-गुण दिखा भोग प्रभु को, भर पेट खाओ
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3 टिप्पणियां:
deepti gupta@ yahoogroups.com
सटीक और शानदार .......
Deepti gupta@ yahoogroups.com
Excellent Sanjeev ji!
Kusum Vir via yahoogroups.com
अद्भुत, आचार्य जी,
अंतिम पंक्तियाँ बहुत सुन्दर l
कुसुम वीर
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