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गुरुवार, 9 मई 2013

navgeet maa ka pyar ompraksh tiwari

मेरी पसंद:
नवगीत
माँ का प्यार
- ओमप्रकाश तिवारी

प्रातकाल उठि के रघुनाथा । मातु-पिता गुरु नावहिं माथा।।

अर्थात, भारतीय संस्कृति में रोज सुबह मां को प्रणाम करके ही दिनचर्या शुरू करने का विधान है। फिर भी, पश्चिमी संस्कृति के अनुसार आज का दिन मातृ दिवस के रूप में निर्धारित है तो एक नवगीत प्रस्तुत है-
लेकिन पाया माँ का प्यार
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चॉकलेट
कम खाई मैंने,
लेकिन पाया
माँ का प्यार ।
घर में रहनेवाली
माँ थीं,
घर ही था
उनका संसार,
हँसते-हँसते
दिनभर खटतीं
लगी गृहस्थी
कभी न भार

गरम पराठे
दूध-मलाई,
फिर भी नखरे
मेरे हजार ।

न आया का
दूध चुराना
न मेरे
हिस्से का खाना,
खुद ही
उबटन-तेल लगाकर
थपकी देकर
मुझे सुलाना

पल भर को भी
बाहर जाऊँ,
तो आने तक
तकतीं द्वार ।

नहीं बोर्डिंग का
सुख पाया
न पड़ोस में
समय बिताया,
क्रेच व बेबी सिटिंग
कहाँ थे
था माँ के
आँचल का साया

जन्मदिवस पर
केक न काटा,
किंतु गुलगुलों
की भरमार

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