धर्म और विज्ञान १
संजीव
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धर्म सनातन सत्य है, सत्य कहे विज्ञान
परिवर्तन विज्ञान की सदा रहा पहचान
अनहद या बिग बैंग में तनिक नहीं है फर्क
कण के दो आवेश के प्रकृति-पुरुष हैं नाम
विधि ब्रम्हा-बुधि शारदा, भाव-क्रिया संयोग
शिव विष को धर कंठ में, हुए चन्द्र के नाथ
शिवा समाईं अग्नि में, प्रगटीं लें दस हाथ
रक्ष-संकटों को दिया मार, दिए नव मूल्य
मानव दानव हो नहीं, हो न सृष्टि निर्मूल्य
आदि शक्तियों का नहीं, हम सा तन-आकार
गुण-धर्मों पर चित्र हैं, वे थे निर-आकार
गुण-धर्मों की विविधता, सृजे नित नए रूप
जल-जलचर उत्पत्ति को, कहें मत्स्य अवतार
थल-जल में वाराह ने, किया क्रिया व्यापार
वामन पशु से मनुज तक, यात्रा का गंतव्य
राम मनुज रक्षक रहे, दनुज हुए सब वध्य
सम्यक संयम का लिए आये बुद्ध विचार
धर्म या कि विज्ञान हैं एक सत्य दो नाम
सत्ता रचती है सदा, अपने हित की राह
दीप जलाते ही तिमिर, छिपता नीचे आप
धर्म और विज्ञान हैं, व्याख्या-विधियाँ मात्र
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6 टिप्पणियां:
Mahipal Tomar via yahoogroups.com
रस-खान, सिद्ध,चिंतक कवि हार्दिक बधाई, बधाई इसलिए भी आप अपनी प्राप्त 'कवित्त्व-शक्ति' का उपयोग समाज से जुड़े मुद्दों को, साहित्य से जुडी जानकारी को बड़ी जिम्मेवारी से इस मंच पर प्रस्तुत कर मुझ जैसे सामान्य-जन(जनों) का बड़ा भला भी करते हैं। जिस सन्दर्भ ने आपको यह रचना के लिए प्रेरित किया है, उसके लिए भी ई-कविता पर यह कविता और भी समीचीन है, क्योंकि इसकी पाठक संख्या,'चिंतन' मंच से काफी ज्यादा है। बहुत ही तार्किक ढंग से धर्म और विज्ञानं पर आपकी कविता बार-बार
पढ़ने को आकर्षित करती है।
Mahesh Dewedy via yahoogroups.com
सलिल जी,
दोहे निश्चय ही श्रेष्ठ कोटि के हैं. बहुत बधाई.परन्तु इतना अवश्य कहूँगा की मैंने अज तक किसी धर्म अथवा धार्मिक व्यक्ति में कम्पयूटर बनाने के फार्मूले उद्भूत होते नहीं देखे है।
हाँ धर्म के नाम पर ज्ञान के प्रसार को रोकने के
प्रयत्न सदैव होते रहे हैं
महेश चन्द्र द्विवेदी
धन्यवाद महिपाल जी, बना रहे आशीष।
कलम रचे कुछ सार्थक, कृपा करें जगदीश।।
vijay3@comcast.net via yahoogroups.com
अति सुन्दर...अति सुन्दर !
विजय
shar_j_n
आदरणीय आचार्य जी,
नमन! नमन! नमन!
अति अति सुन्दर! मन प्रसन्न हो गया पढ़ के !
और ये अतिउत्तम उपसंहार!
धर्म और विज्ञान हैं, व्याख्या-विधियाँ मात्र
उतना समझे सत्य वह, जो जितना है पात्र
सादर शार्दुला
Kusum Vir via yahoogroups.com
धर्म और विज्ञान की विशद, विलक्षण व्याख्या l
कुसुम वीर
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