बाल गीत:
शुभ प्रभात
संजीव 'सलिल'
***
शुभ प्रभात, गुड मोर्निंग,
आओ! खेलें खेल।
उछलें-कूदें, नाचें-गायें-
रख आपस में मेल।
*
कलियों से सीखें मुस्काना,
फूलों से नित खिलना।
चिड़ियों से सीखें संग रहना-
आसमान में उड़ना।
चलो! तोड़ दें बैर-भाव की-
मिलकर आज नकेल…
*
हरियाली दे शुद्ध हवा हँस,
बादल देता छैयां।
धूप अँधेरा हरकर थामे-
उजियारे की बैयां।
कोयल कहती मीठा बोलो
छोडो दूर झमेल
*
शुभ प्रभात
संजीव 'सलिल'
***
शुभ प्रभात, गुड मोर्निंग,
आओ! खेलें खेल।
उछलें-कूदें, नाचें-गायें-
रख आपस में मेल।
*
कलियों से सीखें मुस्काना,
फूलों से नित खिलना।
चिड़ियों से सीखें संग रहना-
आसमान में उड़ना।
चलो! तोड़ दें बैर-भाव की-
मिलकर आज नकेल…
*
हरियाली दे शुद्ध हवा हँस,
बादल देता छैयां।
धूप अँधेरा हरकर थामे-
उजियारे की बैयां।
कोयल कहती मीठा बोलो
छोडो दूर झमेल
*
2 टिप्पणियां:
viavijay3@comcast.net
मनोहारी बाल गीत के लिए बधाई।
सादर,
विजय
मैं तो बस यही सोचती हूँ कि आचार्य जी इतनी सुन्दर रचना कैसे करते हैं l
अवश्य ही माँ शारदे आपकी तूलिका में स्वयं रंग भरती होंगी l
आपका आशीर्वाद हुआ तो दोहा अवश्य लिखूँगी l
सादर,
कुसुम वीर
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