छंद बहर का मूल है १५
वार्णिक अनुष्टुप जातीय छंद
मात्रिक दैशिक जातीय एकावली छंद
*
मुक्तिका
*
नित इबादत करो
मत अदावत करो
.
कुछ शराफ़त रहे
कुछ शरारत करो
.
सो लिए तुम बहुत
उठ बगावत करो
.
मत नज़र फेरना
मिल इनायत करो
.
भूल शिकवे सभी
मत शिकायत करो
.
बेहतर जो लगे
पग रवायत करो
.
छोड़ चलभाष दो
खत-किताबत करो
.
२४-४-२०१६
सी २५६ आवास-विकास हरदोई
***
३-६-२०१६
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 3 जून 2021
एकावली छंद
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