ॐ
।। वेदोक्त रात्रि सूक्त।।
*
। ॐ रजनी! जग प्रकाशें, शुभ-अशुभ हर कर्म फल दें।
।। विश्व-व्यापें देवी अमरा,ज्योति से तम नष्ट कर दें।।
*
। रात्रि देवी! भगिनी ऊषा को प्रगट कर मिटा दें तम।
।। मुदित हों माँ पखेरू सम, नीड़ में जा सो सकें हम ।।
*
। मनुज, पशु, पक्षी, पतंगे, पथिक आंचल में सकें सो।
।। काम वृक वासना वृकी को, दूर कर सुखदायिनी हो।।
*
। घेरता अज्ञान तम है, उषा!ऋणवत दूर कर दो।
।। पयप्रदा गौ सदृश रजनी!, व्योमपुत्रि!! हविष्य ले लो।।
***
३-४-२०१७
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
शनिवार, 3 अप्रैल 2021
वेदोक्त रात्रि सूक्त
चिप्पियाँ Labels:
दुर्गा,
वेदोक्त रात्रि सूक्त
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें