कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

मुक्तिका

 मुक्तिका

कर्ता करता
भर्ता भरता
इनसां उससे
रहता डरता
बिन कारण जो
डरता; मरता
पद पाकर क्यों
अकड़ा फिरता?
कह क्यों पर का
दुख ना हरता
***
संजीव
१५-४-२०२०

कोई टिप्पणी नहीं: