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शनिवार, 3 अप्रैल 2021

सरस्वती वंदना अंबरीश श्रीवास्तव

सरस्वती वंदना
अंबरीश श्रीवास्तव, सीतापुर
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चतुर्भुजी माँ ब्राह्मी, वीणा पुस्तक सार | 
ज्ञान स्रोत हिन्दी बने, इसका हो व्यवहार || 
ज्ञानदायिनी शारदे, सब हों हिन्दी मीत | 
हिन्दी के व्यवहार से, छाये सबमें प्रीति || 
दुर्गम है हिन्दी नहीं, जन जन की आवाज़ | 
उर अंतर में ये बसी, अनुशासित अंदाज || 
यति गति लय भी गद्य में, रक्खें इसका ध्यान | 
अपनी शैली में लिखें , होगा कार्य महान || 
बोधगम्य हिन्दी लिखें, भरें शब्द भंडार | 
छोटे छोटे वाक्य हों , समुचित वर्ण प्रकार || 
सहज सौम्य अनुकूलतम, शब्दों का विन्यास | 
मुखरित होयें भाव सब , कर लें यही प्रयास || 
देना होगा ध्यान अब, देखें चिन्ह विराम | 
मात्राएँ सब ठीक हों, अवलोकें अभिराम || 
शब्दों की संयोजना , मन में उठते भाव | 
हिंदी में अभिव्यंजना , छोड़े अमिट प्रभाव || 
हिन्दी में सब काम हो , हिन्दी हो आधार | 
मातु करो सब पर कृपा, अपनी ये मनुहार ||

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