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रविवार, 11 अप्रैल 2021

क्षणिका गीध

क्षणिका
गीध
*
जब स्वार्थसाधन और
उदरपोषण तक
रह जाए
नाक की सीध
तब समझ लो
आदमी
नहीं रह गया है आदमी
बन गया है
गीध।
***
११-४-२०२०

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