दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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रविवार, 4 अप्रैल 2021
मुक्तक
मुक्तक: अर्पण मैला-चटका है, मेरा मन दर्पण बतलाओ तो किसको कर दू अर्पण? जो स्वीकारे सहज भाव से इसको होकर क्रुद्ध न कर दे मेरा तर्पण *** २०-३-२०१७
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