मुक्तक: अर्पण
मैला-चटका है, मेरा मन दर्पण
बतलाओ तो किसको कर दू अर्पण?
जो स्वीकारे सहज भाव से इसको
होकर क्रुद्ध न कर दे मेरा तर्पण
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२०-३-२०१७
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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