मुक्तक
दिल लगाकर दिल्लगी हमने न की.
दिल जलाकर बंदगी तुमने न की..
दिल दिया ना दिला लिया, बस बात की-
दिल दुखाया सबने हमने उफ़ न की..
*
दोस्तों की आजमाइश क्यों करें?
मौत से पहले ही बोलो क्यों मरें..
नाम के ही हैं. मगर हैं साथ जो-
'सलिल' उनके बिन अकेले क्यों रहें?.
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७-४-२०१०
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