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मंगलवार, 9 मार्च 2021

अमृत महोत्सव गीत ८

अमृत महोत्सव गीत ८
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
*
मनुज सभ्यता का जन्मस्थल, 
वेद भूमि, नर का कर्मस्थल। 
आदर्शों का जीवनदाता,
जग-जीवन माने धर्मस्थल।।
करे काम निष्काम, 
आप ले अपनी करनी तोल।
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
*
दुर्दिन आए, गौरव खोया, 
तजा न साहस, तनिक न रोया।।
धीरज-धर्म सहारे जूझा-
त्याग बीज जन-मन में बोया।।
सत्तावन की क्रांति  
देख अरि दल था डाँवाडोल।  
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
हुई जागृति, मिटी भ्रांति जब, 
युवा देश हित करें क्रांति सब। 
गोली खाई, फाँसी झूले-
सत्ता खीझी, हुई न शांति तब।।
'वंदे मातरम्' गान 
रहा था, गोरों में भय घोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
भारत की सरकार बनाई,
नेताजी ने आस जगाई। 
देख फ़ौज थर्राए गोरे-
'दिल्ली चलो' दहाड़ लगाई।।
अणुबम से जापान डरा 
आया जैसे भूडोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
सत्याग्रह का शस्त्र मिला जब,
आंदोलन का अस्त्र फला तब। 
दांडी जाकर नमक बनाया 
बापू ने, अरि-सूर्य ढला अब।।
नव संकल्पों की साक्षी 
रावी थी रही किलोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
गाँधी की आँधी में, गोरा 
शासन तिनके भाँति उड़ गया। 
आजादी की हँसी-ख़ुशी में 
बँटवारे का दर्द जुड़ गया।।  
पस्त हुए अंग्रेज, 
खुल गई  अन्यायी की पोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
नव भारत ने होश सम्हाला,
पंचशील का सपना पाला। 
बाँध कारखानों सड़कों से 
ट्राम्बे ने था हाथ मिलाया।।
द्रुत विकास का
चक्र चल पड़ा पिटा विश्व में ढोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
*   
स्वतंत्रता के साल पचहत्तर, 
निर्भरता का फूँकें मंतर।
साबरमती कहे सब मिलकर,
बना देश को दें अभ्यंकर।।
कंकर-कंकर कर दें शंकर
करें न टालमटोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
*   
हर मुश्किल को मानें अवसर,
परचम फहरे जल-थल-नभ पर। 
आयुर्वेद-योग गुरु हैं हम,
जगवाणी हिंदी दे अवसर।।
नेह नर्मदा सलिल 
आचमन कर लें किस्मत खोल। 
भारत की जय बोल 
विश्व मिल भारत की जय बोल।। 
*



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