आँखमिचौली खेलते , बादल सूरज संग।
यह भागा वह पकड़ता, देखे धरती दंग।।
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पवन सबल निर्बल लता , वह चलता है दाँव।
यह थर-थर-थर काँपती , रहे डगमगा पाँव।।
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देवर आये खेलने, भौजी से रंग आज।
भाई ने दे वर रंगा, भागे बिगड़ा काज।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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