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शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

हाइकु, जनक छंद, क्षणिका, दोहा, सोरठा, शे'र

हाइकु :
ईंट रेत का
मंदिर मनहर
देव लापता
*
जनक छंद
नोबल आया हाथ जब
उठा गर्व से माथ तब
आँख खोलना शेष अब
*
क्षणिका :
पुज परनारी संग
श्री गणेश गोबर हुए।
रूप - रूपए का खेल
पुजें परपुरुष साथ पर
लांछित हुईं न लक्ष्मी।
दोहा :
तुलसी जब तुल सी गयी, नागफनी के साथ।
वह अंदर; बाहर हुई, तुलसी विवश उदास।।
*
सोरठा :
घटे रमा की चाह, चाह शारदा की बढ़े
गगन न देता छाँह, भले शीश पर जा चढ़े
*
शे'र :
लिए हाथों में अपना सर चले पर।
नहीं मंज़िल को सर कर सके हैं हम।
*

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