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रविवार, 25 अक्तूबर 2020

अवधी मिठास - दोहा प्रतियोगिता

दोहा प्रतियोगिता १. ५४, २. ४१, ३. ५७, ४. ६१ ५. ५२, ६. ६४, ७. ६१ , ८. ६०।    
प्रश्न :
०१. अनुराग तुकांत का प्रयोग करते हुए सुंदर दोहा लिखिए
०२. दोहे कितने प्रकार के होते हैं? एक त्रिकल दोहे का उदाहरण दीजिए।
०३. दोहा रचते समय दोहाकार को क्या नियम अपनाने चाहिए।
०४. दोहा छंद अन्य छंदों से भिन्न और विशेष कैसे होता है?
०५. दोहे की सहायता से अन्य कौन से छंद रचे जा सकते हैं?
०६. दोहा पूरा करें ---- देशकाल पर कीजिए ....
०७. दोआब की समस्या पर एक दोहा लिखें!
०८. दोहे और रोले मे भिन्नता बतलाइए।
०९. किन्हीं चार दोहा कारों के एक - एक दोहे लिखिए!
१०. किस दोहाकार के दोहे आपको प्रभावित करते हैं? उदाहरण सहित लिखिए
प्रतियोगिता का निर्धारित समय एक घंटा है। उक्त प्रतियोगिता कुल ९० नंबर की है। पाँच प्रश्न १०-१० नंबर के और प्रश्न संख्या ०९ और.१० दोनों २०-२०  नंबर के हैं।
*
प्रतिभागी १  प्राप्तांक ५४ 
प्र.१.का उत्तर- 
जीवन सरल बनाइए, कटुता सब दो त्याग।
सबको गले लगाइए, भर-भर के अनुराग।।
= संबोधन दोष   
प्राप्तांक ५   
प्र.२. का उत्तर-शिल्प के आधार पर दोहे २३ प्रकार के होते हैं।
= त्रिकाल दोहा ?
प्राप्तांक  
प्र.३. का उत्तर- दोहा रचते समय रचनाकार को शिल्प, गेयता, लाक्षणिकता, संक्षिप्तताऔर मार्मिकता पर ध्यान देना चाहिए।विषम चरणों का कल-४+४+३+२ या ३+३+२+३+२, सम चरणों का कल-४+४+३ या ३+३+२+३ बेहतर होता है।
विषम चरण का प्रारंभ जगण से न हो, देशज शब्दों का प्रयोग कम हो। विषम चरणों का अंत सगण, रगण अथवा नगण से अच्छा माना जाता है । दोहे का प्रारंभ दग्ध अक्षर से न हो।
प्राप्तांक  
प्र.5. सरसी छंद
प्राप्तांक  
प्र ६ का उत्तर-
देशकाल पर कीजिए, अपने सारे कर्म।
समय बहुत बलवान है, समझ सखे यह मर्म।।
प्राप्तांक  
प्र ८ का उत्तर-दोहा रोले का विलोम होता है।रोला में11-13यति पर होता है तथा प्रथम चरणांत गुरु लघु से होता है जबकि दोहा का लघु गुरु या लघु लघु लघु से।रोला द्वितीय चरण का प्रारंभ त्रिकल से अनिवार्य है जबकि दोहा मे यह अनिवार्यता नहीं है।
प्राप्तांक ३ 
प्र.९.कबीर दास
कबीर संगति साधु की, जो करि जाने कोय।
सकल बिरछ चंदन भये, बाँस न चंदन होय।।
बिहारी-समै समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोय।
मन की रुचि जेती जितै, तिन तेती रुचि होय।।
रहीम-रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानस चून।।
तुलसीदास-आवत ही हरसै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी वहाँ न जाइए, चाहे कंचन बरसै मेह।।
प्राप्तांक २० 
प्र.10 कबीर दास के दोहे सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।कबीर के दोहो में स्पष्टता, लाक्षणिकता और मार्मिकता अधिक होती है।सटीक अभिव्यक्ति भी।
जैसे-देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह।
बहुरि न देही पाइए, अबकी देह सुदेह।।
प्राप्तांक १० 
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प्रतिभागी २ प्राप्तांक    ४१  
1- जीवन यह अनमोल है, सब से हो अनुराग। 
साँसें गिनती की मिलीं, द्वेष भावना त्याग।। 
प्राप्तांक ७ 
2- दोहा अन्य छंदों से अपने चार चरणों क्रमशः 13,11,13,11मात्राओं , सम तुकांतता चरणों में गुरुलघु अनिवार्य होने से व द्वि पदी में गागर में सागर भरना होता है ,यही भिनन्ता है। 
प्राप्तांक ३ 
5- दोहा छंद से हम कुण्डलिया छन्द, दोहा मुक्तक, दोहा गज़ल, दोहा गीतिका, दोहा गीत आदि छंदाधारित रचना कर सकते हैं ।
प्राप्तांक ३ 
6-देश काल पर कीजिए, विवेक दे कर ध्यान। 
उसी तरह व्यवहार से, बढ़ उन्नति सोपान।। 
प्राप्तांक ६
7-दोहा से रोला में चारों चरणों में मात्रा भार उल्टा हो जाता है, यथा -
11,13,11हो जाता है तथा तुकान्त उसी प्रकार बदल जाते हैं। 
प्राप्तांक ७
9-चार दोहे-
1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ें चटकाय। 
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय।। --रहीम जी 
2-मित्र समय पहचान कर, करो परिश्रम आज। 
शीघ्र उठो नियमित रहो, यही सफलता राज।।-रघुनन्दन हटीला 
प्राप्तांक १०  
10- रहीम जी के दोहे --गागर में सागर भरने से सारगर्भित, श्रेष्ठ 
प्राप्तांक  
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प्रतिभागी ---  तीन ///दोहा प्रतियोगिता   ५७ 
०१. अनुराग तुकांत का प्रयोग करते हुए सुंदर दोहा लिखिए
जहांँ स्वार्थ की बेल है, वहांँ नहीं अनुराग।
जल जाते इस आग में, प्रेम पगे सब बाग।।
७ 
०२. दोहा रचते समय दोहाकार को क्या नियम अपनाने चाहिए।
उ.दोहे में शिल्प ,लय, तुकांत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कारक का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। श्रेष्ठ दोहे में  सरसता,स्पष्टता, पूर्णता और लाक्षणिकता होनी चाहिए।
५ 
०३. दोहा छंद अन्य छंदों से भिन्न और विशेष कैसे होता है?
उ. दोहा अति लघु छंद है । लेकिन कवि इस लघु गागर में सागर भर सकता है।
२ 
०४. दोहे की सहायता से अन्य कौन से छंद रचे जा सकते हैं?
उ. दोहे छंद की सहायता से हम दोहा-मुक्तक और कुंडलियां छंद लिख सकते हैं।
४ 
०५. दोहे और रोले मे भिन्नता बतलाइए।
उ. दोहा छंद में प्रथम चरण में 13 मात्राएं और विषम चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इसके विपरीत रोला छंद में प्रथम चरण में 11 मात्राएं और विषम चरण में 13 मात्राएं होती हैं।
४ 
०९. किन्हीं चार दोहा कारों के एक - एक दोहे लिखिए!
रहीम जी
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
 टूटे पे फिर ना जुरे ,जुरे गांँठ परी जाय।।
रसखान जी
 जा छवि पर रसखान अब वारों कोटि मनोज।
 जाकी उपमा कविन नहिं पाई रहे कहुं खोज।।
बिहारी जी
सतसइया के दोहरे जो नाविक के तीर ।
देखन में छोटै लगे घाव करे गंभीर।।
तुलसी दास जी
मुखिया मुख सो चाहिए, खान पान कहूं एक। 
पालन-पोषण सकल अंग तुलसी सहित विवेक।।
२० 
१०. किस दोहाकार के दोहे आपको प्रभावित करते हैं? उदाहरण सहित लिखिए
उ.दोहाकार  संत कबीर दास जी ने हमें सबसे अधिक प्रभावित किया । उदाहरण हेतु उनके दोहे प्रस्तुत हैं,जो उनकी अद्भुत कल्पना शक्ति और तीव्र मेघा का जीवंत  प्रमाण है
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।१.
यह तन कांचा कुंभ है ,लिए फिरे था साथ।
ढबका लागी फूटिगा ,कछु न आया हाथ।।२
 १५ 
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चार /// प्र. 9 का उत्तर...  ६१ 
कबीर
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय। 
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।
रहीम
दीरघ दोहा अरथ को,आखर थोड़े आंहि।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमटि-कूदि चलि जाँहि।
तुलसी
रामराज अभिषेक सुन,हिय हरषे नर-नारि।
लगे सुमंगल सजन सब,विधि अनुकूल विचारि।
गोपालदास 'नीरज'
आत्मा के सौंदर्य का ,शब्द रूप हैं काव्य।
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य।
बिहारी
नहिं पराग, नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली सो बन्ध्यौ, आगे कौन हवाल।
२० 
प्र. 10 का उत्तर
कविवर विहारी के
नहिं पराग, नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली सो बन्ध्यौ, आगे कौन हवाल।
उनके उक्त दोहे ने राजा जयसिंह को सद्बुध्दि प्रदान की है..।
उन्होंने राजा को एक बार और एक दोहे के द्वारा ही जागृत किया था....।..
जिसकी  पंक्तियां याद आ रही हैं
स्वारथ,सुकृत न श्रम वृथा, देखि विहंग विचारि।
बाज पराए पानि ते, तू पाछिनु न मार।
बिहारी के बारे में प्रसिद्ध है...
सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर।
देखन में छोटे लगें, घाव करें गम्भीर।
१० 
प्र. 8 ...
दोहे में चार चरण हैं
रोले में आठ चरण हैं।
दोहे के विषम चरण में 13 और सम चरण में 11 मात्राएं होती हैं।
रोले में विषम चरणों में 11 और सम चरणों में 13 मात्राएं   होती हैं।
६ 
प्र. 6 का उत्तर.....
देशकाल पर कीजिए,  जम कर सोच विचार।
जल्दी ही कुछ कीजिए, जीवन के दिन चार।
६ 
 5. का उत्तर
1-कुंडलिया या कुंडली , 2-कुंडलिनी (आ. ओमनीरव प्रणीत) 
3-सरसी 
4-सार 
६  
प्र. 3 का उत्तर.......... 
दोहा छंद मेरे अनुसार छंदों का राजा है...कवियों को धनुष-वाण है....
इसकी मारक क्षमता ही इसकी विशेषता है।इसके द्वारा कवि गागर में सागर भर सकता है।
कवि चंदवरदाई का एक दोहा ने मौ. गौरी का काल बन गया।
यहाँ मैं फिर से कवि बिहारी और राजा जय सिंह का भी उल्लेख करना चाहुंगा, कि किस प्रकर बिहारी ने एक नहीं दो दो बार अपने दोहों से राजा जय सिंह का मार्ग दर्शन किया और एक प्रकार सेउन्हें सोते हुए से जाग्रत किया।
८ 
प्र. 1 का उत्तर
ग्रामों में अब नहिं रहा, पहले सा अनुराग।
ढूंढे से भी नहिं दिखे, कित सावन,कित फाग।।
५ 
=======
 प्रतिभागी पाँच /// 1.  ५२ 
तालमेल  हो  मित्र  से, बढ़े  सदा  अनुराग। 
छोड़ हृदय के स्वार्थ को, करें हमेशा त्याग।।
६ 
2.
दोहे के 23 प्रकार होते हैं।
 त्रिकल दोहे का उदाहरण —
अति उत्तम अनुपम अमित, अविचल अपरंपार।
शुचिकर  सरस  सुहावना,  दीपावलि  त्योहार।।
६ 
5.
दोहे की सहायता से कुंडलिया और सोरठा छंद की रचना की जा सकती है।
४ 
6.
देशकाल  पर  कीजिए, उत्तम  कुछ  संवाद। 
लेकिन रखिए ध्यान यह, बढ़े न वाद - विवाद।। 
५ 
9. 
कबीर -

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। 
तुलसीदास -
दया धर्म का मूल  है पाप मूल अभिमान |
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण।। 
रहीम-
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय |
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय ||
सूरदास - 
गोरे नंद जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात। 
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत हंसत सबै मुसुकात॥
२० 
10. 
मुझे कबीर के दोहे सबसे अधिक पसंद हैं, क्योंकि वे जन जीवन के नजदीक हैं और सभी दोहे कुछ न कुछ संदेश देते हैं, यथा—

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । 
पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब ॥ 

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
७ 
3.
दोहा रचते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए - 
गेयता पूर्ण हो। विषम चरण में 13 और सम चरण में 11 मात्रा भार हो। 
तभी इसकी सरसता बनी रहती है
४ 
==============
प्रतियोगी -- छः //  ६४ 
उत्तर 1
कहाँ गई अब प्रीत वो , कहाँ गया अनुराग |
कलयुग में सद्भाव के , बचे न कोई बाग ||
७ 
उत्तर 2
दोहा कुल 23 प्रकार के होते हैं ।
त्रिकल दोहे का एक उदाहरण
चलो बनाएँ बाग इक , जहां खिलें सब फूल |
भ्रमर कली सब प्रेम से , खेलें झूला झूल ||  गलत ९ गुरु, ३० लघु के स्थान पर १४ गुरु २० लघु हंस दोहा 
२ 
उत्तर 3
 दोहा की रचना करते समय यह विशेष ध्यान रखना चाहिये कि दोहे की शुरुआत  121 यानि लघु गुरु लघु मात्रा से नहीं करनी चाहिये ,
आजकल के दोहे में देशज शब्द बिल्कुल भी प्रयोग में नहीं लाना चाहिये 
केवल मानक शब्द मान्य हैं 
तुकांत का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है ।
दोनों कही गयी पंक्तियों के भाव स्पस्ट होने चाहये ।
३ 
उत्तर 4
दोहा अर्ध सम मात्रिक छन्द है जिसमें दो पंक्ति में ही बड़ी बात सीधे तीर के समान घाव या प्रभाव करती है ।
अतः यह अन्य छन्दों से भिन्न और कम शब्दों में प्रभावशाली होता है ।
४ 
उत्तर 5
दोहे की सहायता से कई छन्दों की रचना की जाती है जो निम्न प्रकार हैं ।
कुण्डलिनी
कुण्डलिया
दोहा गीतिका
दोहा गीत 
दोहा मुक्तक
दोहा ग़जल
६ 
उत्तर  6
देशकाल पर कीजिए , निशदिन त्वरित विचार |
गल्ती पर सब बोलिए , जुबां सत्य बिन भार ||
६ 
उत्तर 7
दो आब शब्द मतलब दो नदियों के बीच का भाग 
 
दो नदियों के बीच में , फँसा हमारा गेह |
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में , दुर्लभ मिलता नेह ||
८ 
उत्तर 9
चार प्रसिद्ध दोहाकार 
कबीर 
माटी कहे कुम्हार से , तूँ क्या रौंदे मोय |
इक दिन ऐसा आएगा , मैं रौंदूंगी तोय ||
गोस्वामी तुलसी दास
श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मन मुकुर सुधार |
वरनउ रघुवर विमल यश , जो दायक फल चार ||
बिहारी 
तात्री नाद कवित्त रस , सरस राग रति रंग |
अन बूड़े बूड़े तरे , जे बूड़े सब रंग ||
वृंद के दोहे 
विद्या धन उद्मय बिना , कहै जु पावे कौन |
बिना डुलाए न डुलै ज्यों पंखा की पौन ||
२० 
उत्तर 10
मुझे संत कबीर दास जी के दोहे बहुत प्रभावित करते है  
उदाहरण
चलती चाकी देख कर , दिया कबीरा रोय |
दो पाटन के बीच में , साबुत बचा न कोय ||
८ 
============
प्रतियोगी सात //// 9.    ६१ 
1गोस्वामी तुलसीदास
सम प्रकाश तम पाख दुहु,
नाम भेद विधि कीन्ह।
शशि पोषक शोषक समुझि,जग जस अपजस दीन्ह ।।
2 रहीम
रहिमन जिव्हा बावरी, कहि गई सरग पताल।
आपु तो कही भीतर गई, जूती खात कपाल।।
3.बिहारी
स्वारथ सुकृतु न श्रमु वृथा, देखि विहंग विचारि।
बाज पराए पानि परि, तू पंछिनु न मारि।।
4.कबीर---
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय ।।
२० 
प्र.10
कबीर--
उन्होंने दोहों के माध्यम से समाज में फैले कठमुल्लापन,बुराइयों पर वार किया।
    वो सामाजिक समरसता ,समन्वय के हिमायती थे।
1.
मूड़ मुड़ाए हरि मिले, तो मैं भी लेउँ मुड़ाय।
बार बार के मूड़ ते भेड़ न बैकुंठ जाय।।
2.
कांकर पाथर जोड़ि कै, मस्जिद लई  चुनाय।
ता ऊपर मुल्ला बाँग दे बहरा हुआ खुदाय।।
3.
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का , पढ़े सो पंडित होय।।
८ 
प्र.3
--विषम चरण में तेरा मात्रा,अंत रगण,
सगण या नगण से
4432/33232
---सम चरण 11 मात्रा अंत जगण या तगण से
तुकांत,अन्त्यानुप्रास
443/3323/43जगण
---चारों चरण का प्रारंभ
जगण या पचकल से नहीं
---चारों चरण में 11 विन मात्रा लघु
---समचरणों में 10 विन मात्रा दीर्घ।
८ 
प्र.4
--कम शब्द में अधिक कहने का माद्दा
---मार्मिकता व संदेशप्रद अभिव्यक्ति
---लयबद्ध गाया जा सकता है ।
---भाषण ववक्तव्यों में उपयोग करना आसान 
५ 
प्र.5
दोहे की सहायता से रचे जा सकते हैं ---
   1.कुण्डलिया
    2. दोहा मुक्तक
३  
प्र.6
देशकाल पर कीजिए,
कुछ तो बन्धु विचार ।
वरन प्रगति की डोर के, 
कट जाएंगे तार।।
८   
प्र.8
दोहा                    
-मात्रिक छंद 
-दो पंक्ति चार चरण
--हर पंक्ति में 24 मात्रा
--13,11 पर यति
--विषम चरण का अंत
 सगण, रगण,नगण से
--दोहे का सम चरण 11 मात्रा अंत जगण तगण से
 रोला --
-मात्रिक छंद
-चार पंक्ति -8चरण
--हर पंक्ति में 24 मात्रा
--11,13 पर यति
 -विषम चरण दोहे के सम चरण के समान
--सम चरण का अंत 22 से अच्छा माना जाता है ।
९ 
*****
प्रतियोगी -- आठ///      ६० 
०१. अनुराग तुकांत का प्रयोग करते हुए सुंदर दोहा लिखिए।
अपने हित को देखिये , उगल रहे क्यो आग ।
कैसे हम ये मान ले , भारत से अनुराग ।।
८ 
०३. दोहा रचते समय दोहाकार को क्या नियम अपनाने चाहिए।
उत्तर:- दोहे को रचते समय सबसे पहले मात्राओं का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये छंद जितना सरल दिखता है उतना है नही , रचनाकार को दोहे को लय बद्ध जो गाया जा सके वैसा रचना चाहिए बोझिल व किलिष्ट शब्दो के प्रयोग से बचना चाहिए इसका प्रारम्भ 121 से नही होना चाहिए व
 4423,443
3343,3323
इस क्रम में अच्छी रचना होती है ।
दोहे में कम शब्दों में गहरी बात के लिए तैयार करना चाहिए।
६  
०४. दोहा छंद अन्य छंदों से भिन्न और विशेष कैसे होता है?
उत्तर:- दोहा छंद आम बोली की अभिव्यक्ति रूप है जो प्राचीन के साथ सुलभ भी है कम शब्दों में गहरे भाव व प्रभाव को जन के दिल में बसाता है तभी कबीर जी से लेकर वर्तमान तक उसी शिद्दत से रचा व पढ़ा जाता है । इसके अलावा जो दूसरे छंद है वो लिखे बोले तो जाते है पर जन जन के मनो पर नही बसते ।इसी लिए आज तक दोहा नया ही है।
 ८ 
०५. दोहे की सहायता से अन्य कौन से छंद रचे जा सकते हैं?
उत्तर :- दोहे की मदद से सोरठा, रोला, कुंडलियाँ छंद रचा जा सकता है।
५ 
०८. दोहे और रोले मे भिन्नता बतलाइए।
उत्तर:- दोहे में प्रथम चरण 13  चरण  , द्वतीय चरण 11 ,तृतीय चरण13, चतुर्थ चरण11 मात्राएं होती है व सम चरण का अंत गुरु लघु से होता है।
रोला में प्रथम , तृतीय चरण11-11,  द्वतीय , चतुर्थ चरण 13- 13 मात्राएं होती है।
५ 
०९. किन्हीं चार दोहा कारों के एक - एक दोहे लिखिए!
1- सने हुए है देह में , विज्ञापन नाचीज ।
दस पैसे में बेचते , दो पैसे की चीज ।। {Shailesh Veer जी}
2-  जबसे माँगे लाल की , बिटिया हुई जवान ।
बूढा बनिया दे रहा , नित उधार सामान ।। {डॉ बिपिन पाण्डेय जी}
3-  रहे पढ़ाते और को , नैतिकता का पाठ ।
सत्ता आई हाथ तो , लेते है खुद ठाठ ।। {रघुवेन्द्र यादव जी} 
4- कतर कतर कर पंख को , कहते भरो उड़ान ।
कैसे अद्भुद लोग है , कैसा पुष्प जहान ।। {पुष्प लता जी }
२० 
१०. किस दोहाकार के दोहे आपको प्रभावित करते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:- मुझको Raghuvinder Yadav  जी के दोहे अधिक प्रभावित करते है क्योंकि वो सीधे आम जन की बात लिखते है जो दिल को छूती है 
लूट रोज गरीब को , बाँटा इक दिन दान ।
उनकी भी है आरजू , लिख दूँ उन्हें महान ।
८  

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