दक्षिण भारत में खास करके तमिलनाडु मे सरस्वती माता को विद्या का मूल और सब प्रकार के कला का कारण मानते हैं। विद्यारंभ के पहले सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिनी विद्यारंभम करिश्यामी सिद्दर भवतु में सदा मंत्र जपते हैं। रोज सुबह शाम जब घर पर दिया जलाया जाता है तब सरस्वती की वंदना की जाती है।
अक्षरारंभ संस्कार
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मंदिर में शिशुओं का अक्षरारंभ संस्कार शहद चटाकर, कान में मन्त्र फूँककर तथा एक अक्षर लिखवाकर किया जाता है। उत्तर भारत में यह संस्कार लुप्तप्राय है किन्तु दक्षिण भारत में अभी भी यह प्रचलन में है।
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