कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

अभियान जबलपुर



अभियान जबलपुर : एक परिचय 

२० अगस्त १९७३ को समन्वय अभियान जबलपुर संस्था का गठन १६२० कोतवाली वार्ड, राजा सागर मार्ग, जबलपुर में किया गया। संथा का उद्देश्य साहित्यिक-सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ कर सदस्यों की प्रतिभा का विकास करने हेतु विधान सम्मत गतिविधियाँ संचालित करना निश्चित किया गया। संस्था के संरक्षक श्री राजबहादुर वर्मा (अब स्व.), सुश्री आशा वर्मा, इंजी. संजीव वर्मा 'सलिल', इंजी. अशोक नौगरइया, श्री राजेश वत्सल (अब स्व.) बने। संस्था ने मासिक गोष्ठियों के माध्यम से नगर के बुद्धिजीवियों का आशीष और युवाओं का अकल्पनीय सहयोग पाया। संस्था का पंजीयन क्रमांक जे जे ३८९० है। 
  
महाकवि रामेश्वर शुक्ल 'अंचल', डॉ. जवाहल  लाल चौरसिया 'तरुण', डॉ. पूनमचंद्र तिवारी, डॉ. सत्यनारायण प्रसाद, राजेंद्र तिवारी, आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, सुधारानी श्रीवास्तव, डॉ. छाया राय, विश्वनाथ दुबे, डॉ. चित्रा चतुर्वेदी, के. बी. सक्सेना, डॉ. सुमित्र, मोहन शशि, आशा रिछारिया, आचार्य भगवत दुबे, मनमोहन दुबे, सुभाष पांडे, मनमोहन दुबे, इंजी. मुरलीधर दुबे,   रामेन्द्र तिवारी, डॉ. गार्गीशरण मिश्र, साधना उपाध्याय, डॉ. अनामिका तिवारी, छाया त्रिवेदी, जगदीश किंजल्क, श्यामा शांडिल्य, किरण दुबे, आशा जड़े, उषा नावलेकर, इंजी गोपाल कृष्ण चौरसिया मधुर, इंजी सुरेंद्र पवार, इंजी शिव कुमार चौबे, रत्न ओझा, नलिन सूर्यवंशी, दुर्गेश ब्योहार, संध्या श्रुति, विजय किसलय,  निर्मल अग्रवाल, हरी ठाकुर, गिरीश पंकज, चेतन भारती, डॉ, विनय पाठक  आदि ने संस्था को समय-समय पर महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।   

25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 आपातकाल के दौरान डॉ. रामजी सिंह के मार्गदर्शन में संस्था ने जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति संबंधी अनेक आयोजन किये जिन्हें सर्व स्व. दादा धर्माधिकारी, द्वारकाप्रसाद मिश्र, सत्येंद्र मिश्रा,गणेश प्रसाद नायक, ब्योहार राजेंद्र सिंह, कालिकाप्रसाद दीक्षित 'कुसुमाकर', बाबूराव परांजपे, बद्रीनाथ गुप्ता, बल्लभदास जैन, निर्मल चंद्र जैन, भगवती धर बाजपेयी, प्रभाकर रुसिआ आदि का आशीष और सहयोग मिला। लोकनायक व्याख्यानमाला के अंतर्गत डॉ. रामजी सिंह, सुब्बाराव जी, यदुनाथ थत्ते, इंदुमती केलकर, मृणाल गोरे,  किशन पटनायक, के. पी. जाधव आदि विचारक व् चिंतकों ने प्रेरक सारगर्भित व्याख्यानों से राष्ट्रीय चेतना की अलख जलाने में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया।       

वर्ष १९९७ से अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण समारोह आरंभ किया गया जिसमें राष्ट्रीय भावधारा, पर्यावरण संरक्षण, दलितोद्धार, स्त्री विमर्श,  ग्राम्योत्थान आदि पर केंद्रित श्रेष्ठ साहित्य को पुरस्कृत किया गया। ये आयोजन जबलपुर, नैनपुर, मंडला, खंडवा, लखनऊ, नाथद्वारा, बेलगाम कर्णाटक आदि स्थानों पर आयोजित किये गए। इनमें पद्म भूषण आचार्य विष्णुकांत शास्त्री राजयपाल उत्तर प्रदेश, केदारनाथ सहन्नी राज्यपाल गोवा, पद्म श्री के.पी. सक्सेना व्यंग्य कर, पद्मश्री डॉ, एम्, सी राय महापौर लखनऊ, पद्म श्री नूर, नरेंद्र कोहली, नरेश सक्सेना, देवकीनंदन शांत, अमरनाथ, मनोज श्रीवास्तव, राजेश अरोरा शलभ, श्रीमती सीमा रिज़वी मंत्री उत्तर प्रदेश, श्री शिव कुमार श्रीवास्तव कुलपति सागर वि.वि., डॉ. जे पी शुक्ल कुलपति जबलपुर वि.वि., चद्रसेन विराट, भगवतीप्रसाद देवपुरा की उपस्थिति ने  गरिमा वृद्धि की। 

वर्ष २००० से २००९ तक दिव्य नर्मदा साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशनः किया गया।  इसके संपादन-संचालन में  डॉ. चित्रा चतुर्वेदी  जी, वीणा तिवारी जी, सुभाष पांडे जी, डॉ. गार्गीशरण मिश्र मराल जी, आशा वर्मा जी, डॉ. प्रभा ब्योहार जी, साधना वर्मा जी. मुरलीधर दुबे जी, लक्ष्मी शर्मा जी, विवेकरंजन जी, महेश किशोर शर्मा जी, निर्मल अग्रवाल जी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। अंतरजाल के आने पर इसे अंतर्जालीय पत्रिका का रूप दे दिया गया जिसे लगभग ३२ लाख  पाठक पढ़ चुके हैं। इसमें प्रतिदिन नई रचनाएँ प्रस्तुत की जा रही हैं। 

अभियान ने समय समय पर समन्वय प्रकाशन के माध्यम से अनेक पुस्तकें व् स्मारिकाएँ प्रकाशित की हैं। वर्ष २०१० में अंतर्जालीय गतिविधियों और अन्य देशों के हिंदी प्रेमियों को जोड़कर हिंदी व्याकरण-छंद शास्त्र का ज्ञान साझा करने के लिए विश्ववाणी हिंदी संस्थान को मूर्त रूप दिया गया। समय समय पर ब्लॉग, ऑरकुट, फेसबुक, वॉट्सऐप आदि पर तथा नगर में विश्ववाणी  अभियान द्वारा  साहित्यिक गोष्ठियाँ, परिचर्चाएँ, परिसंवाद आदि निरन्तर आयोजित किये जाते हैं जिनके माध्यम से सदस्यों की प्रतिभा संवर्धन, नयी-नयी विधाओं में सृजन, पुस्तक लेखन-प्रकाशन आदि में निरंतर मार्गदर्शन और सहयोग दिया जाता है। कोरोना काल में विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान ने सर्वप्रथम वाट्स ऐप पर दैनिक समय सारिणी निर्धारित कर  हिंदी साहित्य तथा कला की सभी विधाओं को समन्वित करते हुए सदस्यों को गतिशील बनाये रखा। राष्ट्रीय एकता और शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान  कार्यक्रम समय-समय पर किये हैं। दिनांक  १७ मई २०२० को आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय एकता एवं शक्ति पर्व तथा डॉ. अनामिका तिवारी की अध्यक्षता में २० मई २०२० को राष्ट्र भक्ति पर्व के ओनलाइन आयोजन में ५ राज्यों से २८ साहित्यकारों ने सहभागिता की। 

विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान की ६ राज्यों में सक्रिय इकाइयाँ तथा  सहयोगी संस्थाएँ स्वसेवा समिति सिहोरा, युवा उत्कर्ष समिति दिल्ली, अभियान लखनऊ आदि राष्ट्रीय एकता और शक्ति पर केंद्रित कई कार्यक्रम आगामी समय में करने  हैं जिनका उद्देश्य बाल, किशोर तथा युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय एकता, सहिष्णुता,  समानता की  बीजारोपण कर उसे सशक्त बनाना है। 

कोई टिप्पणी नहीं: