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शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

नवगीत

नवगीत:
*  
मंज़िल आकर
पग छू लेगी
 
ले प्रदीप
नव आशाओं के
एक साथ मिल
कदम रखें तो
रश्मि विजय का
तिलक करेगी 

होनें दें विश्वास
न डगमग
देश स्वच्छ हो
जगमग जगमग
भाग्य लक्ष्मी
तभी वरेगी 

हरी-भरी हो
सब वसुंधरा
हो समृद्धि तब ही
स्वयंवरा
तब तक़दीर न
कभी ढलेगी
***
२३-१०-२०१४

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