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सोमवार, 17 सितंबर 2018

doha muktak

दोहा मुक्तक 
कभी न लगने दीजिए, दुर्व्यसनों की चाट. 
बिन दुश्मन करते व्यसन, खादी हमारी खाट.
कदम-कदम रखकर बढ़ें, गिर-उठ लक्ष्य न भूल 
ईश्वर जब होते सदय, तब हों आप विराट.
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