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सोमवार, 24 सितंबर 2018

पितृ तर्पण विधि   PITRU TARPAN VIDHI

आवाहन Awahan: 

दोनों हाथों की अनामिका (छोटी तथा बड़ी उँगलियों के बीच की उँगली) में कुश (एक प्रकार की घास) की पवित्री (उँगली में लपेटकर दोनों सिरे ऐंठकर अँगूठी की तरह छल्ला) पहनकर, बायें कंधे पर सफेद वस्त्र डालकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पूर्वजों को निम्न मन्त्र से आमंत्रित करें:
First wear pavitree (ring of kushaa- a type of grass) in ring fingers of both the hands and place a white cloth- piece on left shoulder. Now invite (call) your ancestor’s spirit by praying (join your hands) through this mantra:

'ॐ आगच्छन्तु मे पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम'
ॐ हे पूज्य पितरों! पधारिये तथा जलांजलि ग्रहण कीजिए। 
“Om aagachchantu me Pitar evam grihanantu Jalaanjalim.”

तर्पण: तिल-जल अर्पित करें Tarpan :(offer water & til)

किसी पवित्र नदी, तालाब, झील या अन्य स्रोत (गंगा / नर्मदा जल पवित्रतम हैं) के शुद्ध जल में थोड़ा सा दूध, तिल तथा जवा मिलाकर बनाये तिलोदक (तिल + उदक = जल में तिल) से निम्न में से प्रत्येक को ३ बार तस्मै स्वधा नमः कहते हुए जलांजलि अर्पित करें। 
Now offer tilodak (water preferably collected from any natural source river, tank, lake etc. Ganga / narmada river's water considered most pious, mix little milk, java & Til. offer 3 times to each one . 

स्वर्गीय पिता को तर्पण  Tarpan to Late Father:
(गोत्र नाम) गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपस्त्तृप्यतामिदं तिलोदकम (नर्मदा/गंगा जलं वा) तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
(गोत्र नाम)  गोत्र के मेरे पिता (पिता का नाम) वसुरूप में तिल तथा पवित्र नर्मदा/गंगा जल ग्रहणकर तृप्त हों। तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
(Pronounce gotra name) Gotre Asmat (mine) Pita ( father's name) Sharma Vasuroopastripyatamidam Tilodakam (Narmada/GangaJalam Vaa) Tasmey Swadha Namah, Tasmey Swadha Namah, Tasmey Swadha Namah.

Tilodakam: Use water mixed with milk java & Til ( water taken from Ganga / narmada rivers cosidered best)Tasmey Swadha Namah recite 3 times while leaving (offering) water from joind hands
स्वर्गीय पितामह हेतु तर्पण Tarpan to late Paternal Grand Father:

उक्त मंत्र में अस्मत्पिता के स्थान पर अस्मत्पितामह तथा वसुरूपस्त्तृप्यतमिदं के स्थान पर रूद्ररूपस्त्तृप्यतमिदं पढ़ें. 

Replace AsmatPita with Asmatpitama & Vasuroopastripyatamidam with Rudraroopastripyatamidam in above mantra. 

स्वर्गीय पितामही हेतु तर्पण Tarpan to late paternal Grand mother:

उक्त में अस्मत्पितामह के स्थान पर अस्मत्मातामह पढ़ें  Replace Asmatpitamah with Asmatma tamah
वसुरूपस्त्तृप्यतमिदं के स्थान पर रूद्ररूपस्त्तृप्यतमिदं पढ़ें 

Replace Vasuroopastripyatamidam with Rudraroopastripyatamidam in above mantra.

माता हेतु  तर्पण Tarpan to Mother:

(गोत्र नाम) गोत्रे अस्मन्माता माता का नाम देवी वसुरूपास्त्तृप्यतमिदं तिलोदकम (गंगा/नर्मदा जलं वा) तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः तस्मै स्वधा नमः।
.......... गोत्र की मेरी माता श्रीमती ....... देवी वसुरूप में तिल तथा पवित्र जल ग्रहण कर तृप्त हों। तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

AmukGotraa Asmnamata AmukiDevi Vasuroopaa Tripyatamidam Tilodakam Tasmey Swadha Namah, Tasmey Swadha Namah, Tasmey Swadha Namah.

जलांजलि पूर्व दिशा में १६ बार, उत्तर दिशा में ७ बार तथा दक्षिण दिशा में १४ बार अर्पित करें 
offer jalanjali (take tilodikam in both hands joined and leave graduaalee on earth or in some vassel) 16 times in east, 7 times in north & 14 times in south directions.
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निस्संदेह मन्त्र श्रद्धा अभिव्यक्ति का श्रेष्ठ माध्यम हैं किन्तु भावना, सम्मान तथा अनुभूति अन्यतम हैं। तिल-कुश न मिल सके तो केवल जल से, जल भी न मिले तो केवल नाम स्मरण से अथवा नाम भी न ज्ञात हो तो संबंध याद कर हाथ जोड़ कर भी तर्पण किया जा सकता है. तर्पण का आशय दिवंगत की आत्मा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन है, इस अर्थ में किसी भी आदर/स्नेह पात्र तथा आपदा में दिवंगत अनेक जनों का उन्हें स्वजन मानकर तर्पण किया जा सकता है. 

It is true that mantra is a great medium for prayer offerings. But love, attachment, feelings, sentiments, emotions, regard & emotions are prime not mantras.in case any of the material reqired is not available then take pure water, if water is not available join hands and bow head in pious memory of the expired relatives. In case names are not known tarpan can be offered by remembering relation with them. In the broadest sence tarpan (offering prayer) can be done to any one for the peace of his/her/it's soul. It is nothing but expressing the gratitude to the soul.
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