जपु जी साहिब में दोहा
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सोचै सोचि न होवई, जे सोची लखवार।
चुपै चुप न होवई, जे लाइ रहा लिवतार।।
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सोचै सोचि न होवई, जे सोची लखवार।
चुपै चुप न होवई, जे लाइ रहा लिवतार।।
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भावार्थ
सोचा सच होता नहीं, सोचो लाखों बार।
चुप न रहे चुुुुप्पी; हुआ, जो करता करतार।।
सोचा सच होता नहीं, सोचो लाखों बार।
चुप न रहे चुुुुप्पी; हुआ, जो करता करतार।।
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