कुल पेज दृश्य

शनिवार, 22 सितंबर 2018

जपुजी साहब

जपु जी साहिब में दोहा
*
सोचै सोचि न होवई, जे सोची लखवार।
चुपै चुप न होवई, जे लाइ रहा लिवतार।।
*
भावार्थ
सोचा सच होता नहीं, सोचो लाखों बार।
चुप न रहे चुुुुप्पी; हुआ, जो करता करतार।।
***
  

कोई टिप्पणी नहीं: