******सरस्वती वंदना*******
ज्ञान का वरदान दे माँ सरस्वती,
द्वार पर लेकर खड़ी हूँ प्रार्थना।
काट दे अज्ञानता की बेड़ियाँ,
दूर कर दुर्बुद्धि के जंजाल माँ।
ज्ञान के आलोक से रोशन हृदय,
और कर दे जिंदगी खुशहाल माँ।।
मन-वचन,अंत:करण,निष्पाप हों,
कर सकूँ माँ ! आपकी आराधना।।
ज्ञान का वरदान-----------प्रार्थना।।
हर तरफ ईमान बिकता है यहाँ,
दुश्मनी की आँधियों का जोर है।
हो रहा चिंतन प्रदूषित इस कदर,
आचरण से आदमी कमजोर है।।
खो गई करुणा,हृदय पत्थर हुए,
खो गई है आजकल संवेदना।।
ज्ञान का वरदान*******प्रार्थना।।
माँ ! हमें सामर्थ्य दे,संकल्प की,
बुद्धिबल से शुद्धि की,उत्कर्ष की।
आचरण व्यवहार से गरिमामयी,
हो अमिट पहचान भारतवर्ष की।।
माँ ! यही अरदास, पूजा, वन्दना।
माँ!यही मंगल हृदय की कामना।।
ज्ञान का वरदान********प्रार्थना।।
मिथिलेश बड़गैयाँ
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शनिवार, 4 सितंबर 2021
सरस्वती वंदना, मिथिलेश बड़गैयाँ
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सरस्वती वंदना
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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