आँखों में तैरते अक्स / 'आई फ्लोटर्स'
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आई फ्लोटर्स आँखों के भीतर घूमते हुए छोटे धब्बे हैं, जो अचानक किसी भी समय आँखों के आगे आ जाते हैं। जिससे कुछ पलों के लिए दृश्यता बाधित होती है। यह आँखों के सामने तब आते हैं जब आप सफेद कागज पर लिखा कुछ पढ़ रहे होते हैं या नीला आसमान देख रहे होते हैं। इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
आई फ्लोटर्स क्यों बनते हैं? जब हम पैदा होते हैं तब हमारी आंखों में विट्रीस जैल के रूप में स्थिर होते हैं। युवा होने तक यह आंखों में जैल के रूप में ही स्थिर रहते हैं। पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह जैल घुलकर द्रव रूप में फैलने लगता है। जैल के जो तत्व पूरी तरह से घुल नहीं पाते वे छोटे-छोटे फ्लोटर्स का रूप ले लेते हैं। कई बारे ये पतले रेशे जैसे होते हैं, तो कभी वृत्ताकार और कभी मकड़ी के जाले की शेप में। यही जब तैरकर रेटिना के एरिया में आ जाते हैं तो दृश्यता बाधित करते हैं।
जीवनशैली में बदलाव करके आई फ्लोटर्स का इलाज किया जा सकता है। इसे कम करने के लिए टीवी देखना और कंप्यूटर पर काम कम करना चाहिए। अच्छी नींद आई फ्लोटर्स को दूर करने में मददगार साबित होती है। अल्कोहल का आँखों पर बुरा असर पड़ता है। इनका सेवन बंद करने की कोशिश करें। आई फ्लोटर्स दूर करने के लिए फल और हरी सब्जियों को अपनी खुराक में शामिल करें। चाय की जगह ग्रीन टी का सेवन करें। आँखों के व्यायाम करके भी आई फ्लोटर्स का इलाज किया जा सकता है। अपनी आँखों को गोलाकार मुद्रा में घड़ी के काँटों की दिशा में और फिर विपरीत दिशा में घुमाइए। दिन में कम से कम दस बार यही मुद्रा दोहराएँ। दोनों हथेलियों को रगडें और इनसे अपनी आँखों को ढकें। हथेलियों द्वारा पैदा की जाने वाली प्राकृतिक ऊर्जा तनाव को दूर करती है और थकी हुई आँखों को राहत मिलती है।
हाथों को पूरी लंबाई में खींच कर जितनी दूरी बने उतनी दूरी पर पेन या पेंसिल आंखों के सामने रखें। पेंसिल पर ध्यान केन्द्रित करें और धीरे-धीरे इसे आँखों की तरफ खींचें। फिर पीछे की तरफ ले जाएं। निरंतर पेंसिल पर नज़र टिकाये रखें। इस क्रिया को ५ मिनट रोजाना करें। इससे आपको आई फ्लोटर्स की समस्या से निजात मिलेगी।
रोग ज्यादा पुराना हो गया है तो इसके इलाज के लिए मुख्य रूप से दो सर्जिकल तरीके हैं। विट्रोक्टॉमी में विट्रोस ह्यूमर को हटाने के लिए शामिल होता है जहां फ्लोटर्स बनते हैं। सर्जन एक खोखली सुई को सम्मिलित करता है और विट्रीस ह्यूमर निकालता है जिसे नमक के पानी के घोल से बदल दिया जाता है। सर्जरी के बाद, डॉक्टर एक तेल के बुलबुले को इंजेक्ट करता है जो आंख की दीवार के खिलाफ रेटिना को धकेलता है। हालांकि यह प्रक्रिया फ्लोटर्स को पूरी तरह से हटा नहीं सकती है लेकिन फ्लोटर्स की संख्या कम हो जाएगी।
लेज़र उपचार द्वारा फ्लोटर्स के टूटने की सिफारिश कई ऑप्टोमोलॉजिस्ट द्वारा की गई है। लेज़र को येट्रियम-एल्युमिनियम-गार्नेट लेज़र कहा जाता है और इसका उपयोग विटेरोलिसिस नामक प्रक्रिया में किया जाता है, जिससे आंखों के भीतर फ्लोटर्स को वाष्पीकृत किया जा सके। सर्जरी होने से पहले, आंख में सुन्नता लाने के लिए एक आई ड्रॉप प्रदान किया जाता है, और एक विशेष संपर्क लेंस को आंख के ऊपर रखा जाता है। फिर लेजर बीम का उपयोग फ्लोटर्स को वाष्पीकृत करने के लिए किया जाता है।
स्वस्थ आहार को बनाए रखने और विभिन्न सर्जिकल उपचारों से गुजरने की तुलना में इन विट्रो हास्य में फ्लोटर्स के विकास को रोकने के लिए शारीरिक व्यायाम करने की अनुशंसा की जाती है।
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