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शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

नवगीत

नवगीत:
संजीव
*
हम क्यों
निज भाषा बोलें?
*
निज भाषा बोले बच्चा
बच्चा होता है सच्चा
हम सचाई से सचमुच दूर
आँखें रहते भी हैं सूर
फेंक अमिय
नित विष घोलें
हम क्यों
निज भाषा बोलें?
*
निज भाषा पंछी बोले
संग-साथ हिल-मिल डोले
हम लड़ते हैं भाई से
दुश्मन निज परछाईं के
दिल में
भड़क रहे शोले
हम क्यों
निज भाषा बोलें?
*
निज भाषा पशु को भाती
प्रकृति न भूले परिपाटी
संचय-सेक्स करे सीमित
खुद को करे नहीं बीमित
बदले नहीं
कभी चोले
हम क्यों
निज भाषा बोलें?
३-९-२०१४
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