दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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गुरुवार, 9 सितंबर 2021
निमाड़ी मुक्तिका
卐 ॐ 卐 निमाड़ी मुक्तिका संजीव * दुनिया रंग-बिरंगी छे मतलब को संगी म्हारो-थारो भूलो बण जा सच्चो जंगी रेवा महिमा भारी जल पी तबियत चंगी माटी केसर चंदन म्हिनत अपणो अंगी निरमल हिरदा जिनगी करी लेव मनमंगी *
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