ऐसा क्यों कहा था रघुवीर सहाय ने ?
"हमारी हिन्दी एक दुहाजु की नयी बीवी है / बहुत बोलने वाली, बहुत खाने वाली, बहुत सोने वाली / गहने गढ़ते जाओ / सर पर चढ़ाते जाओ"
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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