आओ यदि रघुवीर
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
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गले न मिलना भरत से, आओ यदि रघुवीर 
धर लेगी योगी पुलिस, मिले जेल में पीर
कोरोना कलिकाल में, प्रबल- करें वनवास
कुटिया में सिय सँग रहें, ले अधरों पर हास
शूर्पणखा की काटकर, नाक धोइए हाथ
सोशल डिस्टेंसिंग रखें, तीर मारकर नाथ
भरत न आएँ अवध में, रहिए नंदीग्राम
सेनेटाइज शत्रुघन, करें- न विधि हो वाम
कैकई क्वारंटाइनी, कितने करतीं लेख
रातों जगें सुमंत्र खुद, रहे व्यवस्था देख
कोसल्या चाहें कुसल, पूज सुमित्रा साथ
मना रहीं कुलदेव को, कर जोड़े नत माथ
देवि उर्मिला मांडवी, पढ़ा रहीं हैं पाठ
साफ-सफाई सब रखें, खास उम्र यदि साठ
श्रुतिकीरति जी देखतीं, परिचर्या हो ठीक
अवधपुरी में सुदृढ़ हो, अनुशासन की लीक
तट के वट नीचे डटे, केवट देखें राह 
हर तब्लीगी पुलिस को, सौंप पा रहे वाह
मिला घूमता जो पिटा, सुनी नहीं फरियाद 
सख्ती से आदेश निज, मनवा रहे निषाद 
निकट न आते, दूर रह वानर तोड़ें फ्रूट 
राजाज्ञा सुग्रीव की, मिलकर करो न लूट 
रात-रात भर जागकर, करें सुषेण इलाज 
कोरोना से विभीषण, ग्रस्त विपद में ताज 
भक्त न प्रभु के निकट हों, रोकें खुद हनुमान 
मास्क लगाए नाक पर, बैठे दयानिधान  
कौन जानकी जान की, कहो करे परवाह?
लव-कुश विश्वामित्र ऋषि, करते फ़िक्र अथाह 
वध न अवध में हो सके, कोरोना यह मान
घुसा मगर आदित्य ने, सुखा निकली जान      
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१०-४-२०२० 
 संजीव, ९४२५१८३२४४
 
 
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