करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म
ज्यों की त्यों चादर रखे, निभा 'सलिल' निज धर्म
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