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शुक्रवार, 5 मार्च 2021

दोहा होली

होली के दोहे 
*
होली का हर रंग दे, खुशियाँ कीर्ति समृद्धि.
मनोकामना पूर्ण हों, सद्भावों की वृद्धि..
स्वजनों-परिजन को मिले, हम सब का शुभ-स्नेह.
ज्यों की त्यों चादर रखें, हम हो सकें विदेह..
प्रकृति का मिलकर करें, हम मानव श्रृंगार.
दस दिश नवल बहार हो, कहीं न हो अंगार..
स्नेह-सौख्य-सद्भाव के, खूब लगायें रंग.
'सलिल' नहीं नफरत करे, जीवन को बदरंग..
जला होलिका को करें, पूजें हम इस रात.
रंग-गुलाल से खेलते, खुश हो देख प्रभात..
भाषा बोलें स्नेह की, जोड़ें मन के तार.
यही विरासत सनातन, सबको बाटें प्यार..
शब्दों का क्या? भाव ही, होते 'सलिल' प्रधान.
जो होली पर प्यार दे, सचमुच बहुत महान..\*
५-३-२०१५ 

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