सारी दुनिया देख रही है
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
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सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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आजादी का अमृत महोत्सव, याद रखो बलिदान।
'मन की बात' फूँक दो अपने सपनों में नव जान।।
बने आत्म निर्भर भारत है दांडी का संदेश।
मौलिक अधिकारों की रक्षा, है कर्तव्य विशेष।।
हम मेहनतकश उगा रहे हैं नित्य सुनहरी भोर
हम मेहनतकश उगा रहे हैं नित्य सुनहरी भोर
सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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हिंद महासागर से हिमगिरि तक भारत है एक।
अंतरिक्ष नापे इसरो, अद्भुत तकनीक विवेक।।
सिंधु नर्मदा कावेरी गंगा यमुना के तीर।
बनें रेल पुल मार्ग सुरंगें, रक्षा की प्राचीर।।
मेट्रो आयुध यान आई टी का दस दिश है जोर
सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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हैं भविष्य उज्जवल ताकत अपनी मजदूर-किसान।
अंतरिक्ष नापे इसरो, अद्भुत तकनीक विवेक।।
सिंधु नर्मदा कावेरी गंगा यमुना के तीर।
बनें रेल पुल मार्ग सुरंगें, रक्षा की प्राचीर।।
मेट्रो आयुध यान आई टी का दस दिश है जोर
सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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हैं भविष्य उज्जवल ताकत अपनी मजदूर-किसान।
ऊँच-नीच मिट गई साथ हैं अब जवान विज्ञान।।
योग सीखता सब जग हमसे, करता जय-जयकार।
कोरोना टीका भारत का मानव को उपहार।
कंकर से शंकर रच दें हम, आशा नई अँजोर
सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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योग सीखता सब जग हमसे, करता जय-जयकार।
कोरोना टीका भारत का मानव को उपहार।
कंकर से शंकर रच दें हम, आशा नई अँजोर
सारी दुनिया देख रही है अब भारत की ओर।
विश्वगुरु फिर आए आगे थामे जग की डोर।।
सारी दुनिया देख रही है.......
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