कुल पेज दृश्य

सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

हरयाणवी सरस्वती वंदना वीना तवंर

हरयाणवी
सरस्वती वंदना
वीना तवंर, गुरुग्राम
*
शारदे माता वीणा वादिनी,
करू तनै प्रणाम। 
वन्दना करु हे मेरी माता,
दे दे बुध्दि ज्ञान। 
मेरी लेखनी नै वर दे, 
शक्ति मनै दे दे।
मैं भीतर ले मन तै चाहू,
तू मेट मेरा अज्ञान।
धौले-धौले कपड़े पहनै,
मोर की करै सवारी।
वीणा बाजै हाथ मै थारे,
तोडे सै अभिमान।
सदा हाथ मै पत्रा रखती, 
कलम मै करै सै वास,
कवि, लेखक और गुणीजनो का,
करती तू कल्याण। 
थोड़ा सा मनै भी वर दे,
दे दे शब्द भंडार। 
कलम दवा त तै लिखती जाऊँ,
जीभ गावै गुणगान 
सच्चाई लिखवाईए री माता, 
झूठ ना धरू ध्यान।
शब्दों सै सेवा करके मैं,
बढ़ाऊँ देस का मान।
***

कोई टिप्पणी नहीं: