श्री चित्रगुप्त वंदना
-डॉ.सतीश सक्सेना 'शून्य', ग्वालियर
चित्रगुप्त भगवान प्रभूजी तुम हो सबके दाता
अल्पबुद्धि में बालक तेरा गीत तुम्हारे गाता
अल्पबुद्धि में बालक तेरा गीत तुम्हारे गाता
और नहीं है कोई मेरा तुम्ही पिता तुम माता
उसे सहारा मिलता है जो गीत तुम्हारे गाता
उसे सहारा मिलता है जो गीत तुम्हारे गाता
मुझको दो विद्या अरु बुद्धि मैं बालक नादान
मन में भरदो मेरे श्रद्धा करूँ सदा गुण गान
मन में भरदो मेरे श्रद्धा करूँ सदा गुण गान
सदा भलाई की ही सोचूँ करूँ भले ही काम
मिटे बुराई जब समाज से तब ही लूँ विश्राम
मिटे बुराई जब समाज से तब ही लूँ विश्राम
बनें एक सब रहें एक सब चलें एक सम भाव
कहें वही सब करें वही सब रहे न कोई छलाव
कहें वही सब करें वही सब रहे न कोई छलाव
धर्मराज के सवल सहायक गुण वल बुद्धि निधान
करूँ तुम्हारा सुमिरन प्रभुजी पग पग हो कल्याण
करूँ तुम्हारा सुमिरन प्रभुजी पग पग हो कल्याण
कमल नयन श्यामल वदन कर में कलम दवात
उसका जीवन सुख से बीते जो उठ ध्यावे प्रात
उसका जीवन सुख से बीते जो उठ ध्यावे प्रात
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